माकपा सांसद ने मंत्रालयों के ‘सिर्फ हिंदी में जवाब देने’ पर आपत्ति जताई

Ankit
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नयी दिल्ली, तीन नवंबर (भाषा) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने संसद में पूछे गए सवालों का केंद्र सरकार द्वारा “केवल हिंदी में जवाब दिए जाने” पर रविवार को आपत्ति जताई।


ब्रिटास ने आरोप लगाया कि यह परंपरा वैधानिक भाषा प्रावधानों का उल्लंघन करती है और गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों के सदस्यों को अपने संसदीय कार्य को प्रभावी ढंग से करने से रोकती है।

माकपा सांसद ने कहा कि उन्होंने “विरोध स्वरूप” रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह को मलयालम में एक पत्र लिखा था, जिन्होंने संसद में उठाए गए उनके सवालों का जवाब हिंदी में दिया था, जबकि दक्षिण भारतीय राज्यों के सांसदों के साथ संवाद/संचार के लिए अंग्रेजी भाषा के इस्तेमाल का ‘नियम और पंरपरा’ है।

ब्रिटास ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में यह मुद्दा उठाया और सिंह द्वारा हिंदी में भेजे गए पत्रों तथा उनकी तरफ से मलयालम में दिए गए जवाब की प्रति भी साझा की।

ब्रिटास ने लिखा, “केंद्र सरकार द्वारा दक्षिण भारतीय राज्यों के सांसदों को संबोधित पत्र अंग्रेजी में लिखे जाने का नियम और परंपरा रही है। हालांकि, हाल-फिलहाल में ऐसा नहीं हुआ है। रवनीत बिट्टू ने खासतौर पर हिंदी में लिखने का विकल्प चुना है। मैं उन्हें मलयालम में जवाब देने के लिए मजबूर हूं!”

ब्रिटास के कार्यालय ने एक बयान में कहा, “सांसद डॉ. जॉन ब्रिटास ने रेल और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री रवनीत सिंह को विरोध स्वरूप मलयालम में अपनी प्रतिक्रिया भेजी है।”

बयान में कहा गया है, “यह कदम भारत की भाषाई विविधता के बावजूद, संसद में पूछे गए सवालों का केंद्र सरकार द्वारा केवल हिंदी में जवाब दिए जाने के मुद्दे पर ध्यान आकर्षित करता है। जॉन ब्रिटास केरल का प्रतिनिधित्व करते हैं, एक ऐसा राज्य जिसने हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में नहीं अपनाया है।”

भाषा पारुल दिलीप

दिलीप



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