(पायल बनर्जी)
नयी दिल्ली, चार अगस्त (भाषा) महिलाओं, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य में निवेश करना न केवल नैतिक अनिवार्यता है, बल्कि आर्थिक नजरिये से भी फायदेमंद है।
मातृ नवजात शिशु और बाल स्वास्थ्य भागीदारी (पीएमएनसीएच) के कार्यकारी निदेशक रजत खोसला ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि इस लिहाज निवेश किए गए प्रत्येक डॉलर पर 4.6 से 71.4 अमेरिकी डॉलर तक का प्रतिफल मिलने का अनुमान है।
खोसला ने अपनी दलील के पक्ष में ‘भारत में किशोरों के कल्याण में निवेश की आर्थिक स्थिति’ रिपोर्ट का हवाला दिया। यह रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पीएमएनसीएच और डब्ल्यूएचओ इंडिया के सहयोग से 25 जुलाई को जारी की थी।
यह रिपोर्ट ‘‘बदलती दुनिया में किशोर – निवेश की स्थिति’’ के वैश्विक निष्कर्षों पर आधारित है।
खोसला ने पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘रिपोर्ट बताती है कि भविष्य के निवेश में भारतीय अर्थव्यवस्था को वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के औसतन 10.1 प्रतिशत तक बढ़ाने की क्षमता है।’’
सरकार, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज, समुदायों और परिवारों के विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिवर्ष 33 अरब डॉलर के निवेश से हर साल 476 अरब डॉलर का प्रतिफल मिलने का अनुमान है।
खोसला ने पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘ऐसे निवेश से मातृ और शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी आती है, किशोरों में बीमारी कम होती है और समग्र जीवन प्रत्याशा में सुधार होता है। इसके चलते एक स्वस्थ, अधिक उत्पादक कार्यबल तैयार होता है, जो आर्थिक वृद्धि को गति देता है।’’
रिपोर्ट में किशोरों के कल्याण को और बढ़ाने के लिए अतिरिक्त हस्तक्षेप की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति अधिक उत्पादक होते हैं और उन्हें कम महंगे उपचार और अस्पताल में कम भर्ती होने की जरूरत होती है, साथ ही उनकी कमाई की संभावना भी अधिक होती है।
खोसला ने कहा कि महिलाओं के स्वास्थ्य में निवेश करने से उन्हें अर्थव्यवस्था और समाज में अधिक सक्रियता से भाग लेने में सक्षम बनाकर लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलता है।
भाषा पाण्डेय अजय
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