मुंबई, तीन मार्च (भाषा) वैसे तो महा विकास आघाडी (एमवीए) के सहयोगियों ने अभी तक महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) पद पर औपचारिक रूप से दावा पेश नहीं किया है, लेकिन गठबंधन के एक प्रमुख घटक दल ने सोमवार को मांग की कि कैबिनेट स्तर का यह पद गठजोड़ के सभी तीन दलों को बारी-बारी से मिलना चाहिए।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) (राकांपा-एसपी) के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने मांग की कि विपक्ष के नेता का पद एमवीए के सभी घटक –उनकी पार्टी, कांग्रेस और शिवसेना (उबाठा) को 18-18 महीने के लिए बारी-बारी से मिले।
राज्य के पूर्व मंत्री आव्हाड ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम कह रहे हैं कि नेता प्रतिपक्ष का पद तीन पार्टियों को 18 महीने के लिए बारी-बारी से मिलना चाहिए ताकि हर पार्टी को राज्य विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने का मौका मिले। हमें एक मजबूत विपक्ष के रूप में एक साथ रहना होगा। यह राकांपा (एसपी) का रुख है।’’
विधानसभा का बजट सत्र सोमवार को मुंबई में शुरू हुआ।
आव्हाड ने कहा कि तीनों दलों के वरिष्ठ नेता बैठक करेंगे और इस पर निर्णय लेंगे।
हालांकि, ठाणे शहर के विधायक आव्हाड ने इस बात पर जोर दिया कि इस पद पर बैठने का पहला मौका शिवसेना (उबाठा) को मिलना चाहिए, जिसके पास 288 सदस्यीय विधानसभा में विपक्षी दलों में सबसे अधिक 20 सीट हैं।
पिछले सप्ताह शिवसेना (उबाठा) के नेता संजय राउत ने कहा था कि उनकी पार्टी विधानसभा में एलओपी पद के लिए दावा पेश करेगी।
इस बीच, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि विपक्ष के पास विपक्ष के नेता के पद पर दावा करने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है।
निचले सदन (विधानसभा) में शिवसेना (उबाठा) के 20, कांग्रेस के 16 और राकांपा (एसपी) के 10 विधायक हैं। अभी तक, उनमें से किसी ने भी औपचारिक रूप से इस पद के लिए दावा पेश नहीं किया है।
परम्पराओं के अनुसार, विपक्ष के नेता पद पर दावा करने के लिए किसी विपक्षी दल के पास सदन में 10 प्रतिशत सीट (28 सदस्य) होनी जरूरी हैं।
शिवसेना (उबाठा) विधायक भास्कर जाधव ने दावा किया, ‘‘लेकिन संविधान में ऐसा कोई नियम (कुल सीट का 10 प्रतिशत निर्धारित करने वाला) या प्रावधान नहीं है।’’
भाषा वैभव राजकुमार
राजकुमार