नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) महा विकास आघाडी (एमवीए) महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे को अगले महीने तक अंतिम रूप देगा और उम्मीदवारों के चयन का आधार पिछला चुनावी प्रदर्शन नहीं, बल्कि जीत की संभावना होगी। विपक्षी गठबंधन के सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
सूत्रों ने कहा कि एमवीए गठबंधन के लिए सीट बंटवारे का काम अगले महीने की शुरुआत में हो जाएगा और उन्होंने गठबंधन सहयोगियों द्वारा आपस में कुछ सीट की अदला-बदली की संभावना से इनकार नहीं किया।
हाल के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस एमवीए गठबंधन में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली पार्टी के रूप में उभरी थी। उसने जिन 17 सीट पर चुनाव लड़ा था उनमें से उसने 13 सीट जीती थीं। उसके बाद शिवसेना- उद्धव बालासाहेब ठाकरे (शिवसेना-यूबीटी) (नौ) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार (राकांपा-एसपी) (आठ) रही थीं।
गठबंधन में सीट बंटवारे की बातचीत में तब तेजी आई जब शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस के संगठन महासचिव के. सी. वेणुगोपाल और ‘इंडिया’ गठबंधन के कुछ अन्य नेताओं से मुलाकात की।
मुलाकात के दौरान ठाकरे के साथ उनके बेटे आदित्य और राज्यसभा सदस्य संजय राउत भी थे।
बैठक के बाद खरगे ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र के किसान और युवा अवसरवादी भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन से तंग आ चुके हैं। महाराष्ट्र के 13 करोड़ लोग बदलाव की ओर देख रहे हैं।’’
खरगे ने ठाकरे के साथ मुलाकात की तस्वीर साझा करते हुए ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘महाराष्ट्र के किसान और नौजवान अवसरवादी भाजपा गठबंधन से परेशान हैं। महाराष्ट्र की 13 करोड़ जनता बदलाव की ओर देख रही है।’’
राहुल गांधी ने कहा कि एमवीए एकजुटता के साथ विधानसभा चुनाव लड़ेगा और जीतेगा।
ठाकरे ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के प्रमुख शरद पवार से भी मुलाकात की।
महाराष्ट्र विधानसभा में पिछली बार 288 सीट में अविभाजित शिवसेना ने 56 सीट, अविभाजित राकांपा ने 54 और कांग्रेस ने 45 सीट जीती थीं।
शिवसेना द्वारा भाजपा के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन से बाहर निकलने के बाद, पवार ने विभिन्न विचारधाराओं वाले शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस दलों को एक साथ लाकर एमवीए का गठन किया था और मुख्यमंत्री के रूप में ठाकरे को चुना गया था। करीब ढाई साल बाद एकनाथ शिंदे अधिकतर विधायकों के साथ मिलकर ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना से अलग हो गए और उन्होंने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली।
भाषा हक सिम्मी
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