मुंबई, 31 मार्च (भाषा) महाराष्ट्र की मुख्य सचिव सुजाता सौनिक ने सभी विभागों से राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत किए जाने वाले किसी भी नए प्रस्ताव में आवंटित बजट से परे व्यय में संभावित वृद्धि का स्पष्ट उल्लेख करने का निर्दश दिया है।
राज्य में वित्तीय बाधाओं के संकेतों के बीच यह निर्देश शुक्रवार को जारी किया गया।
इसमें किसी भी नए प्रस्ताव के लिए व्यय में संभावित वृद्धि की पहचान करने में पारदर्शिता का आह्वान किया गया है, जिससे विभागों को उनकी वित्तीय प्रतिबद्धताओं के लिए जवाबदेह बनाया जा सके।
निर्देश में इस बात पर जोर दिया गया कि बिना यह स्पष्ट किए कि विभाग का व्यय उसके मूल आवंटन से कितना अधिक हो सकता है, कोई भी प्रस्ताव मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जाना चाहिए।
एक अधिकारी ने बताया कि अनावश्यक व्यय पर लगाम लगाने के लिए विभागों को निरर्थक व्यय को सीमित करने, अनावश्यक सरकारी योजनाओं को समेकित करने तथा जहां भी संभव हो, मुफ्त सेवाओं पर अंकुश लगाने के निर्देश दिए गए हैं। निर्देश में निरर्थक व्यय को कम करने, अनावश्यक योजनाओं को विलय करने तथा उत्पादक पूंजीगत व्यय को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित देने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
अधिकारी ने बताया कि यह राज्य की व्यापक रणनीति का हिस्सा है, ताकि राजकोषीय घाटे पर लगाम लगाई जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि अत्यधिक उधारी और निरर्थक व्यय प्रथाओं के कारण आवश्यक योजनाएं प्रभावित न हों।
गौरतलब है कि राज्य के उप मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री अजित पवार ने किसानों को राज्य की मौजूदा वित्तीय बाधाओं का हवाला देते हुए ऋण माफी की घोषणा का इंतजार करने के बजाय समय पर अपने फसल ऋण की किस्तें चुकाने की पिछले सप्ताह सलाह दी थी।
इसके बाद उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी राज्य के वित्त में संतुलन बनाए रखने का आह्वान किया और कहा था कि कल्याणकारी योजनाओं, विकास तथा कर्मचारियों के वेतन के लिए धन उपलब्ध होना चाहिए।
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