महात्मा बुद्ध के मूल्यों को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभा सकता है महाराष्ट्र : रीजीजू |

Ankit
3 Min Read


मुंबई, 14 सितंबर (भाषा) केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने शनिवार को कहा कि बौद्ध धर्मावलम्बियों की अच्छी खासी आबादी वाला महाराष्ट्र महात्मा बुद्ध के मूल्यों को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभा सकता है।


रीजीजू यहां अपने मंत्रालय और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन के संयुक्त तत्वावधान में ‘‘बुद्ध का मध्य मार्ग: वैश्विक नेतृत्व के लिए मार्गदर्शिका’’ विषय पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे रहे थे।

मंत्री ने कहा, ‘‘पर्याप्त बौद्ध आबादी के साथ महाराष्ट्र एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जहां बुद्ध के मूल्यों के प्रसार के लिए कोई भी आंदोलन देश भर में गूंज सकता है। राज्य बुद्ध के मूल्यों को बढ़ावा देने में अग्रणी हो सकता है।’’

उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा बुद्ध पूर्णिमा के उत्सव का आयोजन व्यापक स्तर पर किये जाने सहित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हालिया पहल बौद्ध मूल्यों को बढ़ावा देने की (सरकार की) प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

रीजीजू ने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ में प्रधानमंत्री के भाषणों में बुद्ध के मूल्यों, खासतौर पर ‘करुणा’ और ‘सेवा’ को लगातार रेखांकित किया गया है, जो उनकी वैश्विक प्रासंगिकता को दर्शाता है।’

उन्होंने प्रधानमंत्री के इस कथन को भी उद्धृत किया कि जब बुद्ध के मूल्य -परोपकार और करुणा- एक साथ आते हैं, तभी कोई देश वैश्विक नेता बन सकता है और ऐसे मूल्यों की गैर-मौजूदगी से केवल वैश्विक मुद्दे ही पैदा होंगे, शांति नहीं।

रीजीजू ने डॉ. भीम राव आंबेडकर को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि संविधान का उनका (आंबेडकर का) सावधानीपूर्वक मसौदा तैयार करना देश के ढांचे और लोगों के प्रति उनके समर्पण का प्रमाण है।

मंत्री ने बौद्ध समुदाय को समर्थन देने के उद्देश्य से कल्याणकारी योजनाओं के बारे में भी बात की।

अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के महासचिव शार्त्से खेंसुर जंगचुप चोडे ने कहा कि बौद्ध धर्म के सिद्धांत ‘अहिंसा’ में परिवर्तनकारी शक्ति है और यह ‘दया’ और ‘करुणा’ को जन्म देती है। उन्होंने कहा कि केवल बुद्ध के उपदेश ही आज, दुनिया के समक्ष आने वाली गंभीर समस्याओं का व्यवहार्य समाधान प्रस्तुत करते हैं।

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने कहा कि भारत कई धर्मों और आस्थाओं का उत्पत्ति स्थल है और इसने हमेशा प्रेम और करुणा का उपदेश दिया है, जबकि बाकी दुनिया सत्ता हासिल करने पर केंद्रित रही है।

दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के संस्थापक-अध्यक्ष डॉ. मिलिंद कांबले ने रेखांकित किया कि आंबेडकर ने कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद अपने पूरे जीवन में कभी भी हिंसा का समर्थन नहीं किया।

भाषा सुरेश सुभाष

सुभाष



Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *