शेटराउ (फ्रांस) पांच अगस्त (भाषा) मनु भाकर के दोहरे ओलंपिक पदक विजेता के रूप में उल्लेखनीय प्रदर्शन के पीछे जसपाल राणा के योगदान ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है और अब राष्ट्रीय निशानेबाजी महासंघ द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता कोच को अपने खेमे में वापस लाने पर विचार कर रहा है।
राणा का काम करने का अपना तरीका है और उनके इस तरीके के कारण पिछले कुछ वर्षों में भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) से विवाद रहा है।
पूर्व अध्यक्ष रनिंदर सिंह के खेल संहिता के कारण पद छोड़ने के बाद से एनआरएआई का नेतृत्व कर रहे कलिकेश नारायण सिंह देव ने कहा, ‘‘अब, ‘पुराने मुद्दों’ को सुलझा लिया गया है।’’
मनु के निजी कोच के रूप में अपने बेहद सफल दूसरे कार्यकाल के बाद, राणा को भारतीय निशानेबाजी प्रणाली में अहम जिम्मेदारी मिल सकती है। दोनों के बीच मतभेद के तीन साल बाद अब चर्चा है कि उन्हें हाई परफार्मेंस निदेशक या राष्ट्रीय पिस्टल कोच बनाया जा सकता है।
इस महान निशानेबाज ने पहले जूनियर राष्ट्रीय पिस्टल कोच के रूप में काम किया था और मनु के साथ कई अन्य युवा निशानेबाजों की प्रगति में अहम भूमिका निभाई थी।
एनआरएआई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सिंह देव ने कहा, ‘‘जसपाल मनु के निजी कोच रहे हैं और उन्होंने शानदार योगदान दिया है। मुझे नहीं लगता कि हमने कभी जसपाल के योगदान को नजरअंदाज किया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पहले कुछ मुद्दे थे, जाहिर तौर पर उन्हें सुलझा लिया गया है, वह पिछले कई महीनों से मनु के साथ काम कर रहे हैं और यह एनआरएआई की सहमति और अनुमोदन से हुआ है।’’
मनु ने 10 मीटर एयर पिस्टल में कांस्य पदक जीत कर पेरिस ओलंपिक में भारत का खाता खोला था। इस तरह से वह ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला निशानेबाज बनी थी।
इसके बाद उन्होंने सरबजोत सिंह के साथ मिलकर 10 मीटर एयर पिस्टल में मिश्रित टीम का कांस्य पदक भी जीता।
वह इसके बाद 25 मीटर स्पोर्ट्स पिस्टल में शूट ऑफ में कांस्य पदक जीतने से चूक गयी।
इस बीच स्वप्निल कुसाले 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन स्पर्धा में पदक (कांस्य) जीतने वाले पहले भारतीय बने।
सिंह देव ने कहा, ‘‘हम तीन पदक जीतने में सफल रहे। हम चार अन्य स्पर्धाओं के फाइनल में पहुंचे और बेहद मामूली अंतर से कुछ पदक जीतने से चूक गये।
भाषा आनन्द सुधीर
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