मनमोहन सिंह के नोटबंदी पर धारदार भाषण और संसद में उर्दू शेर का है उप्र से गहरा संबंध

Ankit
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लखनऊ, 28 दिसंबर (भाषा) नोटबंदी पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा 24 नवंबर 2016 को राज्यसभा में दिए गए ऐतिहासिक भाषण का उत्तर प्रदेश से गहरा संबंध है क्योंकि उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने उन्हें इसके लिए राजी किया था।


उप्र प्रदेश के नेता और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ फोन पर उन घटनाओं का जिक्र किया जिसके कारण 24 नवंबर 2016 को सिंह ने तीखा भाषण दिया था।

उन्होंने कहा,‘‘ मुझे याद है कि नोटबंदी के बाद हम सभी चाहते थे कि डाक्टर सिंह पूर्व प्रधानमंत्री के अलावा एक प्रख्यात अर्थशास्त्री होने के नाते सदन में कुछ बोलें। मैंने उनसे संपर्क किया, लेकिन उन्होंने कहा कि वह संसद में शोर शराबे के बीच नहीं बोलना चाहेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उनसे कहा कि यदि सदन उन्हें धैर्यपूर्वक सुने तो क्या वह बोलेंगे। उन्होंने कहा ‘प्रमोद जी यदि आप इसका वादा करें तो मैं राजी होऊंगा।’ फिर मैंने राज्यसभा में सदन के तत्कालीन नेता अरुण जेटली जी से संपर्क किया तो उन्होंने मुझे सहयोग का आश्वासन दिया। मैंने अन्य विपक्षी नेताओं से भी संपर्क किया। डाक्टर सिंह इस बात पर राजी हो गए कि उन्हें सुना जाएगा तब वह सदन में बोले और पूरे सदन ने बड़े ध्यान से उन्हें सुना।’’

प्रमोद तिवारी ने कहा, ‘‘ अपने ऐतिहासिक भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री ने नोटबंदी को भारी कुप्रबंधन और संगठित लूट बताया था।’’

भारत में आर्थिक सुधारों के जनक कहे जाने वाले पूर्व वित्त मंत्री और दो बार प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह का बृहस्पतिवार को निधन हो गया था। वह 92 साल के थे। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ निगमबोध घाट पर किया गया।

प्रदेश के एक अन्य नेता जफर अली नकवी ने 2009 से 2014 तक लखीमपुर खीरी से लोकसभा सदस्य रहने के दौरान की दिलचस्प बातें याद कीं।

नकवी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘ यह वह समय था जब विपक्ष हमारी सरकार को बार बार निशाना बना रहा था। भाजपा नेता सुषमा स्वराज विपक्ष की नेता थीं और वह मनमोहन जी की चुप्पी को लेकर अक्सर शायरी के सहारे सरकार पर सवाल खड़ी करती थीं। मुझे पता था कि मनमोहन जी की उर्दू शायरी पर अच्छी पकड़ थी और वह राजनीतिक आलोचनाओं का जवाब देने के लिए इसका उपयोग भी करते थे। इसीलिए मैंने अपनी बात कहने के लिए उन्हें एक शायरी सुझाई। उन्हें यह पसंद आई और उन्होंने इसे ही सुनाया और यह लोकप्रिय हो गई।’’

उत्तर प्रदेश के मंत्री रह चुके नकवी ने जिस शायरी का जिक्र किया वह सिंह ने संसद के अंदर और बाहर मीडिया के सवालों के जवाब देते समय सुनाई थी, जो यह हैं- ‘‘हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, ना जाने कितने सवालों की आबरू रखी।’’

नकवी ने कहा, ‘‘ हम दोनों का शायरी के प्रति प्यार था। मैं उन नेताओं में से एक था जिनकी मनमोहन सिंह के साथ अच्छी बनती थी। यही वजह है कि 2014 में लोकसभा चुनाव में वह मेरा लखीमपुर खीरी में प्रचार करने आए थे। उन्होंने तब उप्र में दो रैलियों को संबोधित किया.. एक खीरी में और दूसरी पीलीभीत के पूरनपुर में और ये दोनों रैलियां उत्तर प्रदेश में उनकी आखिरी रैलियां थीं।’’

पूरनपुर से कांग्रेस के स्थानीय नेता हरप्रीत सिंह छब्बा ने पीटीआई-भाषा को बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री बेहद सरल थे और धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते थे।

उन्होंने कहा, ‘‘सिखों के लिए कृपाण, तलवार या कटार का अपना महत्व है। जब पूर्व प्रधानमंत्री पूरनपुर पहुंचे, हम उन्हें एक तलवार भेंट करना चाहते थे। हालांकि, सुरक्षा कारणों से एसपीजी ने हमें रोका लेकिन प्रधानमंत्री के निजी सचिव के हस्तक्षेप की वजह से इस शर्त के साथ कि तलवार म्यान से नहीं निकाली जाएगी, हमें तलवार पेश करने की अनुमति दी गई।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री के पास गए और उनका सहयोग मांगा क्योंकि सिख म्यान से तलवार निकालकर भेंट करना शुभ मानते हैं। वह तुरंत राजी हो गए और उन्होंने खुद म्यान से तलवार निकाली और इसे लहराया भी।’’

भाषा मनीष राजेंद्र रंजन पवनेश अविनाश

शोभना



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