मणिपुर में राष्टूपति शासन के तहत आपातकालीन स्थिति पर ध्यान नहीं दिया जा रहा: मैइती संगठन |

Ankit
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इंफाल, 16 अप्रैल (भाषा) मैइती संगठन कोकोमी ने बुधवार को दावा किया कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के तहत राज्य में ‘आपातकालीन स्थिति’ पर ठीक से ध्यान नहीं दिया जा रहा। उसने विधायकों से या तो ‘जिम्मेदार नेताओं’ के रूप में कार्य करने या चुनाव का मार्ग प्रशस्त करने के लिए इस्तीफा देने को कहा।


मणिपुर अखंडता संबंधी समन्वय समिति (कोकोमी) के संयोजक खुरैजम अथौबा ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रपति शासन से राज्य की स्थिति में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम राष्ट्रपति शासन के पक्ष में नहीं हैं। जब इसे लागू किया गया था, तो लोगों ने मान लिया था कि केंद्र संघर्ष को जल्दी खत्म कर देगा। लेकिन ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जहां कुकी संगठनों और समुदाय के सशस्त्र समूहों ने अधिकारियों की खुलेआम अवहेलना की है।’’

अथौबा ने कहा, ‘‘राज्य में सभी राजमार्गों को फिर से खोलने पर उनकी आपत्ति और राज्यपाल की अपील के बावजूद हथियार नहीं छोड़ने की उनकी खुलेआम की गई घोषणा दर्शाती है कि राष्ट्रपति शासन लोगों की जरूरत का समाधान नहीं कर रहा है और इसमें आपातकालीन स्थिति को ठीक से संभाला नहीं जा रहा है।’’

अथौबा ने कहा कि लोगों ने सोचा था कि राष्ट्रपति शासन लागू होने से सभी हिंसाग्रस्त क्षेत्रों को शांत कर दिया जाएगा और दो-तीन महीनों में शांति बहाल हो जाएगी, वहीं स्थिति में सुधार के साथ प्रशासन राज्य को सौंप दिया जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, इसके कोई संकेत नहीं हैं।’’

कोकोमी के संयोजक ने राज्य के विधायकों पर भी निशाना साधा और कहा कि वे या तो ‘जिम्मेदार नेता’ के रूप में काम करें या अगर वे संघर्ष को समाप्त नहीं कर सकते हैं तो इस्तीफा दे दें।

उन्होंने कहा, ‘‘विधायक सरकार बनाने के लिए नेता चुनने में विफल रहे हैं। अगर विधायक सरकार नहीं बना पा रहे हैं, तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए ताकि नए सिरे से चुनाव हों और संघर्ष को समाप्त करने के लिए नयी सरकार बने।’’

अथौबा ने कहा, ‘‘निर्वाचित प्रतिनिधियों के रूप में विधायकों को लोगों की इच्छा के अनुसार काम करना चाहिए और दिल्ली से निर्देशों का इंतजार नहीं करना चाहिए।’’

मई 2023 में इंफाल घाटी में रहने वाले मैइती और पड़ोसी पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 260 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

भाषा वैभव अविनाश

अविनाश



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