भारत में टिकाऊ विमान ईंधन का बड़ा उत्पादक बनने की क्षमताः एयरबस अधिकारी

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(मनोज राममोहन)


टूलूज (फ्रांस), 31 मार्च (भाषा) दिग्गज विमान विनिर्माता एयरबस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भारत को टिकाऊ विमानन ईंधन (एसएएफ) का बड़ा उत्पादक बनने की क्षमता से लैस बताते हुए कहा है कि इसके प्रोत्साहन के लिए मददगार नीतियों की जरूरत है।

एयरबस में एसएएफ खंड के प्रमुख जूलियन मैन्हेस ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में कहा है कि एसएएफ बनाने में कच्चे माल के तौर पर चावल और गेहूं के भूसे का उपयोग भी किया जा सकता है जिसकी भारत में पूरी उपलब्धता है।

मैन्हेस ने कहा, ‘‘भारत में एसएएफ का बेहतरीन उत्पादक बनने के लिए कई खूबियां हैं। पहली बात तो यह है कि भारत में इसके कच्चे माल की भरपूर उपलब्धता है। यहां बहुत सारा बायोमास कचरा, खाना पकाने का इस्तेमाल हुआ तेल (और) शहरी इलाकों का ठोस कचरा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत में धान की पराली को हर साल जलाया जाता है जिससे दिल्ली में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब हो जाती है। इनका इस्तेमाल एसएएफ के लिए कच्चे माल के तौर पर किया जा सकता है।’’

दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते विमानन बाजारों में से एक भारत में धीरे-धीरे एसएएफ के इस्तेमाल की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।

उन्होंने फ्रांसीसी शहर टूलूज में पिछले सप्ताह हुई बातचीत में कहा कि एसएएफ प्रदूषण सहित विभिन्न मुद्दों को हल करने में मदद कर सकता है।

मैन्हेस ने कहा कि एसएएफ उत्पादन को बढ़ावा देने वाले अन्य पहलुओं के अलावा भारत में एक विशाल पेट्रोरसायन उद्योग, तमाम रिफाइनरी और इंजीनियरिंग क्षमताएं भी हैं।

एयरबस भी इस खास विमान ईंधन के उत्पादन और उपयोग को बढ़ाने के लिए पहल कर रही है। इस सिलसिले में एयरबस ने भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी), देहरादून के साथ साझेदारी भी की है।

उन्होंने आईआईपी के साथ साझेदारी पर कहा, ‘‘हम आईआईपी को एसएएफ बनाने का नया तरीका तकनीकी रूप से स्वीकृत करवाने में मदद कर रहे हैं…यह भारत में एक विशिष्ट साझेदारी है।’’

हालांकि, एसएएफ के फिलहाल कच्चे तेल की तुलना में बहुत अधिक महंगा होने से यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन हो।

उन्होंने कहा, ‘‘बड़े पैमाने पर उत्पादन करने के लिए आपको नीतियों की जरूरत होती है। सरकार को या तो एसएएफ को अनिवार्य बनाना होगा या इसके उत्पादन में सहायता करनी होगी। वैसे भारत में इस समय बहुत काम चल रहा है।’’

उन्होंने यह भी कहा कि भारत वर्ष 2040 या 2050 तक 10 करोड़ टन या उससे थोड़ा कम मात्रा में एसएएफ का उत्पादन कर सकता है।

एयरलाइंस के वैश्विक संगठन अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ (आईएटीए) ने दिसंबर, 2024 में अनुमान लगाया था कि 2025 में एसएएफ उत्पादन 21 लाख टन तक पहुंच जाएगा जबकि 2024 के लिए अनुमान 10 लाख टन का था।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय



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