भारत ने यूनेस्को के लिए अनंतिम सूची में छह संपत्तियों को जोड़ा

Ankit
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नयी दिल्ली, 14 मार्च (भाषा) कई राज्यों में फैली ‘अशोकन एडिक्ट साइट्स’ और ‘चौसठ योगिनी मंदिर’ जैसी छह संपत्तियों को यूनेस्को के विश्व धरोहर केंद्र द्वारा भारत की अनंतिम सूची में जोड़ा गया है।


इन स्थलों को 7 मार्च को सूची में जोड़ा गया था। यूनेस्को में भारत के स्थायी प्रतिनिधिमंडल ने एक बयान में यह जानकारी दी।

यूनेस्को में भारत ने बृहस्पतिवार देर रात ‘एक्स’ पर बयान साझा किया। इसमें कहा गया है कि यदि भविष्य में विश्व धरोहर सूची में शिलालेख के लिए किसी संपत्ति को नामांकित किया जाना है, तो विश्व धरोहर केंद्र की अनंतिम सूची में जोड़ना अनिवार्य है।

अनंतिम सूची में जोड़ी गई छह संपत्तियों में छत्तीसगढ़ में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, तेलंगाना में मुदुमल मेगालिथिक मेनहिर, मौर्यकालीन मार्गों (कई राज्यों) के साथ अशोकन एडिक्ट साइट्स का क्रमिक नामांकन, उत्तर भारत (कई राज्यों) में गुप्त कालीन मंदिरों का क्रमिक नामांकन और मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश में बुंदेलों के महल-किले शामिल हैं।

इन अतिरिक्त स्थानों के साथ, भारत में अब संभावित सूची में 62 स्थल हैं। ‘अस्थायी सूची’ उन संपत्तियों की सूची है, जिन पर प्रत्येक देश यूनेस्को नामांकन के लिए विचार करना चाहता है। यूनेस्को की वेबसाइट के अनुसार, क्रमिक रूप से विचार किए गए चौसठ योगिनी मंदिरों में देश के कई स्थानों पर स्थित स्थल शामिल हैं।

यूनेस्को की वेबसाइट के अनुसार, ‘‘चौसठ योगिनी मंदिरों में उनके अलग-अलग मंदिरों में जटिल पत्थर की नक्काशी के साथ 64 योगिनियों की छवियां हैं। ये मंदिर ज्यादातर पहाड़ी की चोटियों पर स्थित हैं। ‘योगिनी’ योग करने वाली महिला के लिए कहा जाता है और ‘चौसठ’ संख्या 64 के लिए हिंदी शब्द है। योगिनियों की संख्या 64 है और इसलिए उन्हें चौसठ योगिनी कहा जाता है। वे वन आत्माओं और मातृ देवियों का एक समूह हैं।’’

वर्तमान में, भारत की कुल 43 संपत्तियां यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में अंकित हैं, जिनमें 35 ‘सांस्कृतिक’ श्रेणी में, सात ‘प्राकृतिक’ और एक ‘मिश्रित’ श्रेणी में शामिल हैं। भारत ने 2024 में पहली बार विश्व धरोहर समिति की बैठक की मेजबानी की थी, जिसके दौरान असम में अहोम राजवंश की टीलों में दफनाने की प्रणाली ‘मोइदम’ को प्रतिष्ठित यूनेस्को टैग दिया गया था।

भाषा वैभव पवनेश

पवनेश



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