नयी दिल्ली, नौ अप्रैल (भाषा) भारत ने नेपाल और भूटान को छोड़कर पश्चिम एशिया, यूरोप और अन्य देशों में विभिन्न वस्तुओं के निर्यात के लिए बांग्लादेश को दी गई पारगमन (ट्रांसशिपमेंट) सुविधा वापस ले ली है।
पारगमन का मतलब एक देश से माल दूसरे देश ले जाने के लिए किसी तीसरे देश के बंदरगाह, हवाई अड्डे या परिवहन रास्ते का अस्थायी उपयोग करना होता है।
यह कदम ढाका की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस द्वारा चीन में दिए गए विवादास्पद बयान के कुछ दिनों बाद उठाया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य, जिनकी बांग्लादेश के साथ लगभग 1,600 किलोमीटर की सीमा लगती है, चारों ओर से जमीन से घिरी हुई हैं तथा इनके पास उनके देश के अलावा महासागर तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है। ये टिप्पणियां भारत को रास नहीं आई थीं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘‘बांग्लादेश को दी गई पारगमन सुविधा के कारण पिछले कुछ समय से हमारे हवाईअड्डों और बंदरगाहों पर काफी भीड़भाड़ हो रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘साजोसामान संबंधी देरी और ऊंची लागत से हमारे अपने निर्यात में बाधा उत्पन्न हो रही है।’’
जायसवाल ने कहा कि आठ अप्रैल से पारगमन सुविधा वापस ले ली गई है।
बांग्लादेश पश्चिम एशिया, यूरोप और कई अन्य देशों को अपना निर्यात भेजने के लिए कई भारतीय बंदरगाहों और हवाई अड्डों का उपयोग करता रहा है।
जायसवाल ने अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘स्पष्ट करने के लिए बता दूं कि इन उपायों से भारतीय क्षेत्र से होकर नेपाल या भूटान को बांग्लादेश से होने वाले निर्यात पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।’’
यूनुस और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चार अप्रैल को बैंकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान बातचीत की थी।
भारतीय पक्ष हालांकि यूनुस और मोदी के बीच बैठक के बारे में ढाका की ओर से जारी बयान, विशेषकर अल्पसंख्यकों पर हमलों और हसीना के प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध से नाराज था।
इस मामले से जुड़े लोगों ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस और प्रधानमंत्री मोदी के बीच बैंकॉक में हुई बैठक के संबंध में बांग्लादेश की ओर से जारी बयान को ‘‘शरारतपूर्ण और राजनीति से प्रेरित’’ बताया था।
यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने शनिवार को एक फेसबुक पोस्ट में कहा था कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने बैंकॉक में हुई बैठक में मोदी के समक्ष हसीना के प्रत्यर्पण के लिए बांग्लादेश के अनुरोध को उठाया और ‘‘प्रतिक्रिया नकारात्मक नहीं थी।’’
सूत्रों ने बैठक पर ढाका के आधिकारिक बयान और आलम के फेसबुक पोस्ट को लेकर कहा था कि यूनुस और पिछली बांग्लादेश सरकार के साथ संबंधों के बारे में भारतीय प्रधानमंत्री की टिप्पणियों का वर्णन ‘‘गलत’’ था।
भारत ने पिछले साल बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा हसीना के प्रत्यर्पण के लिए किए गए अनुरोध पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
पिछले साल अगस्त में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शन के कारण हसीना बांग्लादेश से भारत आ गई थीं और तब से यहीं रह रही हैं।
बैंकॉक में शुक्रवार को हुई बैठक में मोदी ने यूनुस को बांग्लादेश के हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के बारे में भारत की गहरी चिंताओं से अवगत कराया था।
भाषा
देवेंद्र पाण्डेय
पाण्डेय