नयी दिल्ली, छह मार्च (भाषा) नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत को प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने और सात से आठ प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि हासिल करने के लिए छोटे और मझोले उद्यमों को बड़ी आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ एकीकृत करने की जरूरत है और इसके लिए अन्य देशों से एमएसएमई को आकर्षित करने की आवश्यकता है।
बेरी ने उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के आपूर्ति शृंखला पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत को पूरी तरह से प्रतिस्पर्धी होने के लिए अन्य देशों से सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को आकर्षित करना होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें चीन से आगे निकलने के लिए अभी बहुत कुछ करना है। इसका कारण चीन बड़ी कंपनियों को आकर्षित करने में सफल रहा है।’’
नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा, ‘‘बड़ी कंपनियां जटिल नियमों पर बातचीत कर सकती हैं…जब तक हम अन्य देशों से एमएसएमई को आकर्षित नहीं कर सकते, हम पूरी तरह से प्रतिस्पर्धी नहीं हो सकते।’’ उन्होंने यह भी कहा कि अत्यधिक नियमन खासकर एमएसएमई के लिए भारतीय बाजारों में प्रवेश के लिए बाधा बन गए हैं।’’
उन्होंने कहा कि विदेशी एमएसएमई को आकर्षित करना घरेलू एमएसएमई और उनके द्वारा योगदान किए जाने वाली बड़ी कंपनियों के बीच जीवंत संबंधों पर भी निर्भर करता है।
बेरी ने पिछले 20 साल में थाइलैंड और जापान में वाहन क्षेत्र के वैश्विक मूल्य श्रृंखला के साथ एकीकरण का संकेत देते हुए कहा, ‘‘हमारे बड़े पैमाने के विनिर्माताओं की गतिविधियों में घरेलू पूर्वाग्रह है और हमें इसे दूर करना होगा।’’
उन्होंने कहा कि वास्तविक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और सात से आठ प्रतिशत आर्थिक वृद्धि हासिल करने के लिए एमएसएमई को बड़ी आपूर्ति श्रृंखलाओं में एकीकृत करने की आवश्यकता है।
बेरी ने कहा कि वृद्धि नवोन्मेष और व्यापार से लाभ के माध्यम से होती है, लेकिन जब आप अच्छा कर रहे हों तो गति को बनाए रखना कठिन होता है।
उन्होंने कहा, ‘‘चुनौती आगे बढ़ते रहने की है। भारत के कॉरपोरेट क्षेत्र को आगे बढ़ना होगा और वास्तविक प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने और सात से आठ प्रतिशत की वृद्धि हासिल करने के लिए एमएसएमई को बड़ी आपूर्ति शृंखलाओं में एकीकृत करने की आवश्यकता है।’’
बेरी ने भारत की वृद्धि संभावनाओं पर कहा कि देश ने कोविड महामारी के बाद उल्लेखनीय आर्थिक पुनरुद्धार हासिल किया है। भारत आज दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है और इसे अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने स्वीकार किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति में नरमी और गरीबी के स्तर में गिरावट के साथ, देश मजबूत वृद्धि के रास्ते पर है। अब चुनौती इस गति को बनाये रखने और तेज करने की है।’’
पर्यावरण अनुकूल पहल के महत्व का जिक्र करते हुए बेरी ने कहा कि जैसे-जैसे दुनिया हरित आपूर्ति शृंखलाओं की ओर बढ़ रही है, भारतीय उद्यमों को इसे अपनाने के लिए कदम उठाना होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘पर्यावरण अनुकूल उपाय अब केवल अनुपालन के बारे में नहीं है, यह वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में एक मुख्य कारक बन रहा है।’’
बेरी ने कहा कि इस परिवर्तन में एमएसएमई को समर्थन दिया जाना चाहिए, यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे एक हरित, अधिक मजबूत औद्योगिक परिवेश का हिस्सा हैं।
उन्होंने कहा कि घरेलू सुधारों से 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनने के लिए आवश्यक आर्थिक वृद्धि का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त किया जा सकता है।
निजी क्षेत्र की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘कॉरपोरेट क्षेत्र की पूर्ण भागीदारी के बिना हम सात से आठ प्रतिशत की वृद्धि नहीं हासिल कर सकते।’’
भाषा अजय रमण
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