नयी दिल्ली, आठ फरवरी (भाषा) उद्योग निकाय नेशनल सोलर एनर्जी फेडरेशन ऑफ इंडिया (एनएसईएफआई) ने कहा है कि भारत की 100 गीगावाट सौर क्षमता स्थापित करने की उपलब्धि विकसित और विकासशील देशों को ऊर्जा परिवर्तन में तेजी लाने के लिए प्रेरित करेगी।
शुक्रवार को केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि भारत ने स्वच्छ एवं हरित भविष्य के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता से प्रेरित होकर 100 गीगावाट सौर क्षमता की ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर ली है।
एनएसईएफआई के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सुब्रह्मण्यम पुलिपका ने कहा, “चीन, अमेरिका और जर्मनी के बाद भारत 100 गीगावाट का मील का पत्थर पार करने वाला चौथा सबसे बड़ा देश है। हालांकि, हम जर्मनी से थोड़े अंतर से पीछे हैं, लेकिन हम जल्द ही दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा सौर बाज़ार बन जाएंगे। यह उपलब्धि यह सीखने और समझने में कई देशों (विकसित और विकासशील दोनों), खासकर वैश्विक दक्षिण के लिए प्रेरणा है कि त्वरित ऊर्जा संक्रमण को कैसे सक्षम किया जाए।”
उन्होंने कहा कि यह प्रगति भारत की जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक नये युग की शुरुआत है।
पुलिपका ने कहा कि भारत के ऊर्जा संक्रमण परिदृश्य में पिछले दशक में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने में तेजी देखी गई है। साल 2014 में देश में सौर ऊर्जा स्थापना सिर्फ तीन गीगावाट थी।
यह उपलब्धि सहायक सरकारी नीतियों द्वारा समर्थित व्यापार-अनुकूल माहौल का परिणाम है।
भारत अगले वित्त वर्ष में 35-40 गीगावाट सौर क्षमता जोड़ेगा और फिर 2026-27 में इसे 40-45 गीगावाट तक बढ़ाएगा।
उपयोगिता पैमाने के प्रयासों से संबंधित गतिविधि के अलावा, नवीकरणीय ऊर्जा के लिए वाणिज्यिक और औद्योगिक उपयोग में भी सकारात्मक रुझान है, जो उत्साहजनक है।
केंद्र की प्रमुख योजनाएं – पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना और पीएम कुसुम भी क्षमता वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
एनएसईएफआई नवीकरणीय ऊर्जा के लिए भारत का सबसे बड़ा संगठन है और यह सौर पीवी, पवन ऊर्जा, ऊर्जा भंडारण, हरित हाइड्रोजन, लघु जलविद्युत और जैव ऊर्जा उद्योग का प्रतिनिधित्व करता है।
भाषा अनुराग पाण्डेय
पाण्डेय