भारत की धरती से ‘करुणा का वैश्वीकरण’ करने की जरूरत: सत्यार्थी |

Ankit
3 Min Read


मथुरा (उप्र), 22 जनवरी (भाषा) नोबेल शांति पुरस्कार विजेता सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने दुनिया से तनाव और हिंसा को खत्म करने के लिए भारत की धरती से ‘करुणा का वैश्वीकरण’ करने का आह्वान किया।


सत्यार्थी ने संस्था ‘कल्याणं करोति’ द्वारा मथुरा-गोवर्धन के मध्य स्थापित ‘कल्याणं करोति आई इंस्टीट्यूट’ के लोकार्पण समारोह में दुनिया में बढ़ते तनाव व हिंसा पर चिंता प्रकट करते हुए कहा, ‘दुनिया के विभिन्न देशों ने सूचनाओं, व्यापार, बाजार, उपभोक्ता सामग्री और उत्पादन सहित तमाम वस्तुओं एवं सेवाओं का वैश्वीकरण किया है। अब जरूरत है कि हम भारत की धरती से करुणा का वैश्वीकरण करें।’

बाल अधिकार, बाल मजदूरी व बाल यौन शोषण जैसे विषयों पर दुनिया भर में काम करने वाले एवं वर्ष 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त कर चुके सत्यार्थी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘हम इस दिशा में काफी आगे बढ़े हैं। हमने दुनिया के कई राष्ट्राध्यक्षों, पूर्व राष्ट्राध्यक्षों, कई नोबेल पुरस्कार विजेताओं आदि के साथ मिलकर अभियान शुरू किया है जिसे ‘सत्यार्थी मूवमेंट फॉर ग्लोबल कम्पैशन’ कहा जाता है।’

उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के बढ़ते प्रभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, ‘वर्तमान दौर में एआई का प्रभाव बहुत बढ़ रहा है। निश्चित रूप से उसके खतरे भी उसी हिसाब से बढ़ रहे हैं, और बढ़ेंगे भी। हमें उन खतरों को अभी से ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ना होगा। तो हम एआई के मुकाबले करुणा संबंधी बुद्धिमत्ता पर जोर देंगे।’

पिछले एक दशक में बच्चों के साथ होने वाले अपराधों में बढ़ोत्तरी के सवाल पर उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से ऐसा हुआ है, लेकिन पहले के मुकाबले भारत में बच्चों की सुरक्षा के लिए कई कानून बने हैं और नीतियों में सुधार हुआ है।

उन्होंने संतोष जताते हुए कहा कि बच्चों के ऊपर होने वाला खर्च, उनके लिए होने वाला निवेश और शिक्षा आदि जरूरतों पर पहले से कहीं अधिक बढ़ोतरी हुई है।

सत्यार्थी ने कहा, ‘‘भारत में ऐसे मामलों का दर्ज होना अलग बात है, अपराध होना अलग बात है। कई बार जब रिपोर्ट दर्ज होती है तो उसकी सच्चाई भी कुछ और होती है। वैसे रिपोर्ट दर्ज होने से यह तो मालूम पड़ता है कि लोगों में बाल अपराध के प्रति चेतना बढ़ी है।’

उन्होंने कहा कि सबसे अहम बात यह है कि बाल यौन शोषण वाले अपराध के मामले अब ज्यादा दर्ज हो रहे हैं, लेकिन दर्ज मामलों के आधार पर ही कोई यह नहीं कह सकता कि इस प्रकार के अपराध घटे हैं, अथवा बढ़े हैं।

भाषा सं सलीम संतोष

संतोष



Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *