(अदिति खन्ना)
लंदन, नौ अप्रैल (भाषा) भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व वाले भारतीय बैंकों के एक संघ ने बुधवार को भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने का आदेश बरकरार रखने के लिए लंदन की अदालत में दायर अपील जीत ली।
यह कानूनी लड़ाई लंबे समय से चल रही है जिसमें माल्या की अब बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस पर बकाया ऋण की अदायगी की मांग की गई है।
लंदन उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एंथनी मान ने भारतीय बैंकों के पक्ष में फैसला सुनाया जबकि 69 वर्षीय व्यवसायी माल्या की तरफ से दायर अपील की अनुमति मांगने वाले दो आवेदनों को खारिज कर दिया। माल्या को भारत में धोखाधड़ी और धनशोधन के आरोपों के लिए भगोड़ा घोषित किया जा चुका है।
न्यायमूर्ति मान ने कहा, “बैंकों की दलील ऐसी थी जिसे उन्हें स्वीकार करना ही था। इस संबंध में मुख्य बात यह है कि दिवाला कार्यवाही का आदेश कायम है।”
भारतीय बैंकों का प्रतिनिधित्व करने वाली कानूनी फर्म टीएलटी एलएलपी ने कहा कि इस फैसले से यह पुष्टि होती है कि बैंकों के पास माल्या की संपत्तियों पर कोई सुरक्षा नहीं है और दिवाला अर्जी सही थी। अदालत ने भी यह पाया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जब्त की गई संपत्तियों से प्राप्तियां सशर्त थीं और अंग्रेजी कानून के तहत कर्ज से मुक्ति नहीं देती थीं।
टीएलटी एलएलपी के कानूनी निदेशक निक कर्लिंग ने कहा, “यह बैंकों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला है। टीएलटी को यह परिणाम मिलने पर प्रसन्नता है, क्योंकि माल्या के खिलाफ प्राप्त 1.12 अरब पाउंड के डीआरटी (ऋण वसूली न्यायाधिकरण) के फैसले के संबंध में 2017 से ही बैंकों के लिए काम किया जा रहा है।”
यह मामला 2017 का है जब भारतीय बैंकों के समूह ने डीआरटी के फैसले को ब्रिटेन की अदालतों में दर्ज किया था, जो किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए ऋणों के संबंध में माल्या द्वारा प्रदान की गई व्यक्तिगत गारंटी से संबंधित था।
इसके बाद बैंकों ने सितंबर, 2018 में माल्या के खिलाफ दिवाला अर्जी दायर की जिसका उन्होंने कई आधारों पर विरोध किया था।
भाषा अनुराग प्रेम
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