(हेमंत गौर)
नयी दिल्ली, 30 मार्च (भाषा) भारतीय कंपनियों ने वित्त वर्ष 2024-25 में शेयर बाजारों में तेजी के दौरान पात्र संस्थागत आवंटन (क्यूआईपी) के जरिये रिकॉर्ड 1.33 लाख करोड़ रुपये जुटाए।
प्राइम डेटाबेस ने संकलित आंकड़ों के आधार पर कहा कि भारतीय कंपनियों ने क्यूआईपी के जरिये इस वित्त वर्ष में 1,33,251 करोड़ रुपये जुटाए हैं, जो वित्त वर्ष 2023-24 में जुटाए गए 71,306 करोड़ रुपये से 87 प्रतिशत अधिक है।
आंकड़ों के मुताबिक, 31 मार्च, 2025 तक 85 कंपनियों ने क्यूआईपी जारी कर पूंजी बाजार में प्रवेश किया है, जबकि पिछले वित्त वर्ष के दौरान केवल 64 कंपनियों ने ही ऐसा किया था।
विश्लेषकों ने कहा कि कंपनियों ने बहीखाते को मजबूत करने और फंड विस्तार के लिए तेजी से बढ़ते इक्विटी बाजारों का फायदा उठाया।
जेएम फाइनेंशियल की प्रबंध निदेशक और इक्विटी पूंजी बाजार की प्रमुख नेहा अग्रवाल ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय पूंजी बाजार के इतिहास में अब तक का सबसे अधिक क्यूआईपी फंड जुटाया गया, जो मात्रा और मूल्य दोनों ही लिहाज से सबसे अधिक है।’
अग्रवाल ने क्यूआईपी में उछाल का श्रेय कंपनियों के अपने बहीखाते को मजबूत करने के व्यापक रुझान को दिया, जो कि तेजी से बढ़ते पूंजी बाजार से प्रेरित है।
क्यूआईपी संस्थागत निवेशकों से धन जुटाने के सबसे त्वरित उत्पादों में से एक है। इसे सूचीबद्ध फर्मों और निवेश ट्रस्टों के लिए बनाया गया है। इसके लिए कंपनियों को बाजार नियामकों के समक्ष कोई निर्गम-पूर्व आवेदन करने की जरुरत नहीं होती है।
रिकॉर्डतोड़ क्यूआईपी फंड जुटाने में वेदांता समूह और जोमैटो सबसे आगे हैं। इनमें से हर कंपनी ने 8,500 करोड़ रुपये जुटाए। उनके बाद अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस और वरुण बेवरेजेज ने क्रमशः 8,373 करोड़ रुपये और 7,500 करोड़ रुपये जुटाए।
वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान क्यूआईपी के जरिये संवर्धन मदरसन इंटरनेशनल ने 6,438 करोड़ रुपये, गोदरेज प्रॉपर्टीज ने 6,000 करोड़ रुपये और प्रेस्टीज एस्टेट्स प्रोजेक्ट्स ने भी 5,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं।
इनके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के ऋणदाता पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, यूको बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब एंड सिंध बैंक ने भी सामूहिक रूप से 14,000 करोड़ रुपये से अधिक की पूंजी जुटाई।
जेएसडब्ल्यू एनर्जी, ब्रुकफील्ड इंडिया रियल एस्टेट ट्रस्ट, टोरेंट पावर और भारत फोर्ज भी उन कंपनियों में शामिल थीं, जिन्होंने अपने वित्तीय भंडार को मजबूत करने के लिए क्यूआईपी मार्ग से पूंजी जुटाई।
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