(ललित के झा)
वाशिंगटन, 22 जनवरी (भाषा) भारतीय-अमेरिकी सांसदों ने अमेरिका में पैदा हुए किसी भी व्यक्ति के लिए स्वत: नागरिकता के नियम में परिवर्तन संबंधी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासकीय आदेश का विरोध किया है।
इस कदम से न केवल विश्व भर से आए अवैध अप्रवासी प्रभावित होंगे, बल्कि भारत से आए छात्र और पेशेवर भी प्रभावित होंगे।
सोमवार को राष्ट्रपति के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल के शुरुआती घंटों में ट्रंप ने एक आदेश पर हस्ताक्षर किया, जिसमें घोषणा की गई कि भविष्य में बिना दस्तावेज वाले अप्रवासियों के, देश में पैदा होने वाले बच्चों को अब नागरिक नहीं माना जाएगा। यह आदेश देश में वैधानिक रूप से लेकिन अस्थायी रूप से रहने वाली कुछ माताओं के बच्चों पर भी लागू होगा, जैसे कि विदेशी छात्र या पर्यटक।
ट्रंप के शासकीय आदेश में कहा गया है कि ऐसे गैर-नागरिकों के बच्चे अमेरिका के ‘‘अधिकार क्षेत्र के अधीन’’ नहीं हैं और इस प्रकार वे 14वें संशोधन की दीर्घकालिक संवैधानिक गारंटी के अंतर्गत नहीं आते हैं।
भारतीय-अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने कहा कि शासकीय आदेश के माध्यम से जन्मजात नागरिकता के नियम में किए गए परिवर्तन से न केवल अवैध और गैर-दस्तावेज वाले अप्रवासियों के नवजात शिशुओं पर असर पड़ेगा, बल्कि ‘एच-1बी’ वीजा पर वैध रूप से इस देश में रह रहे लोगों पर भी इसका असर पड़ेगा।
‘एच-1बी’ वीजा एक गैर-अप्रवासी वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विशेष व्यवसायों में विदेशी कामगारों को नियुक्त करने की अनुमति देता है, जिसके लिए सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए इस वीजा कार्यक्रम पर निर्भर रहती हैं।
‘‘ट्रंप का आदेश अमेरिका में जन्मे बच्चों के लिए जन्मजात नागरिकता को खत्म करता है। यह आदेश न केवल उन माता-पिता के बच्चों पर लागू होता है जिनके पास कोई दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह उन ‘वैध’ अप्रवासियों पर भी लागू होता है, जो अस्थायी रूप से छात्र वीजा, ‘एच1बी/एच2बी’ वीजा या ‘बिजनेस वीजा’ पर अमेरिका आते हैं। रिपब्लिकन पार्टी वैध आव्रजन की पक्षधर है, यह दिखावा करना बेकार है।’’
भारतीय अमेरिकी कांग्रेस सदस्य श्री थानेदार ने कहा, ‘‘डोनाल्ड ट्रंप चाहे जो भी कहें या करें, जन्मजात नागरिकता देश का कानून है और रहेगा। मैं इसे हर कीमत पर बचाने के लिए लड़ूंगा।’’
भारतीय अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल ने इसे असंवैधानिक बताया। उन्होंने कहा, ‘‘साफ-साफ कहें तो यह असंवैधानिक है और इसे महज एक आदेश पर हस्ताक्षर करके नहीं किया जा सकता। अगर इसे लागू किया जाता है, तो यह हमारे देश के कानूनों और संविधान में स्थापित मिसालों का मजाक होगा।’’
आव्रजन अधिकार समूहों के एक गठबंधन ने इस आदेश को अदालत में चुनौती दी है और कहा है कि यह असंवैधानिक है।
भाषा सुरभि मनीषा
मनीषा