मुंबई, आठ अगस्त (भाषा) देश के शीर्ष बैंकरों ने बृहस्पतिवार को कहा कि प्रमुख नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखने का भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का फैसला उम्मीद के अनुरूप ही है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र को लेकर केंद्रीय बैंक की चिंताओं का मकसद वित्तीय स्थिरता की रक्षा करना है।
भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के चेयरमैन और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एम वी राव ने कहा, ”आरबीआई ने रेपो दर और नीति के रुख को अपरिवर्तित रखा है और यह उम्मीद के मुताबिक है।”
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति की जारी करते हुए बैंकिंग क्षेत्र के लिए चार संभावित जोखिमों का जिक्र किया है।
ये जोखिम बैंकों के अल्पकालिक गैर-खुदरा जमाओं का सहारा लेने से पैदा हुए संरचनात्मक नकदी के मुद्दे, उपभोग के लिए बड़े पैमाने पर खुदरा कर्ज उठाना, टॉप-अप आवास ऋणों का उपयोग और आईटी बाधाओं से संबंधित हैं।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति पर सावधानीपूर्वक नजर रखने की जरूरत है। उन्होंने नीति में प्रस्तावित नियामक बदलावों का स्वागत भी किया।
खारा ने कहा कि डिजिटल ऋण देने वाले ऐप का सार्वजनिक ब्यौरा रखने का निर्णय इस बाजार के व्यवस्थित विकास को सुनिश्चित करेगा।
इंडियन ओवरसीज बैंक के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ अजय कुमार श्रीवास्तव ने रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने और वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी वृद्धि पूर्वानुमान को 7.2 प्रतिशत पर रखने को संतुलित बताया।
श्रीराम फाइनेंस के कार्यकारी वाइस चेयरमैन उमेश रेवणकर ने कहा कि आरबीआई ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों को वैश्विक अस्थिरता से खुद को बचाने के लिए मजबूत ढांचा बनाने की आवश्यकता के बारे में आगाह किया है।
टाटा कैपिटल के राजीव सभरवाल ने कहा कि एनबीएफसी के लिए जोखिम कम करने और सतत वृद्धि हासिल करने के लिए विवेकपूर्ण ऋण देना महत्वपूर्ण है।
भाषा पाण्डेय प्रेम
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