नयी दिल्ली, तीन फरवरी (भाषा) वित्त सेवा सचिव (डीएफएस) एम. नागराजू ने सोमवार को कहा कि वित्त मंत्रालय बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने के लिए विधेयक के मसौदे को मंजूरी के लिए जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास भेजेगा।
उन्होंने यहां पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा, ‘‘ वित्त मंत्री ने पहले ही अपनी मंजूरी दे दी है और बजट में इसकी घोषणा कर दी है। अब हम विधि मंत्रालय की मदद से विधेयक का मसौदा तैयार करेंगे।’’
इसके बाद के मसौदे को मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के पास भेजा जाएगा।
उन्होंने कहा कि वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) का इरादा मौजूदा बजट सत्र के दौरान विधेयक को पेश करने का है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में नई पीढ़ी के वित्तीय क्षेत्र सुधारों के तहत बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा था।
उन्होंने कहा था, ‘‘ यह बढ़ी हुई सीमा उन कंपनियों के लिए उपलब्ध होगी जो अपना पूरा प्रीमियम भारत में निवेश करेंगी। विदेशी निवेश से जुड़ी मौजूदा बाधाओं और शर्तों की समीक्षा की जाएगी तथा उन्हें सरल बनाया जाएगा।’’
अब तक बीमा क्षेत्र ने एफडीआई के जरिये 82,000 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं।
एफडीआई सीमा बढ़ाने के लिए सरकार को बीमा अधिनियम 1938, जीवन बीमा निगम अधिनियम 1956 और बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम 1999 में संशोधन करना होगा।
विधेयक कुछ प्रक्रियाओं और नियमों को भी सरल बनाएगा।
बीमा अधिनियम 1938 भारत में बीमा के लिए विधायी ढांचा प्रदान करने वाला प्रमुख अधिनियम है।
यह बीमा व्यवसायों के कामकाज के लिए रूपरेखा प्रदान करता है और बीमाकर्ता, उसके पॉलिसीधारकों, शेयरधारकों तथा नियामक (भारतीय बीमा विनियामक व विकास प्राधिकरण) के बीच संबंधों को विनियमित करता है।
बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा आखिरी बार 2021 में 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत की गई थी। इससे पहले 2015 में सरकार ने बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा को 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत किया था।
भाषा निहारिका अजय
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