बेंगलुरु, चार मार्च (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में कहा है कि यदि पॉलिसीधारक के कानूनी उत्तराधिकारी दावा करते हैं तो बीमा पॉलिसी में नामित किए गए व्यक्ति का बीमा लाभों पर पूर्ण अधिकार नहीं रह जाएगा।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि नॉमिनी प्रावधान से संबंधित बीमा अधिनियम, 1938 की धारा 39 हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 जैसे व्यक्तिगत उत्तराधिकार कानूनों को निष्प्रभावी नहीं करती है।
न्यायमूर्ति अनंत रामनाथ हेगड़े ने यह फैसला नीलव्वा उर्फ नीलम्मा बनाम चंद्रव्वा उर्फ चंद्रकला उर्फ हेमा एवं अन्य के मामले में सुनाया है। इन पक्षों के बीच बीमा भुगतान के लिए सही दावेदारों को लेकर विवाद चल रहा था।
न्यायमूर्ति हेगड़े ने अपने फैसले में कहा कि बीमा पॉलिसी में नामित व्यक्ति को बीमा लाभ तभी मिल सकता है जब कानूनी उत्तराधिकारी उनका दावा न करें। यदि कोई कानूनी उत्तराधिकारी अपने अधिकार का दावा करता है तो नामित व्यक्ति के दावे को व्यक्तिगत उत्तराधिकार कानूनों के अधीन होना चाहिए।
इस मामले में शामिल एक व्यक्ति ने अपनी शादी से पहले दो बीमा पॉलिसी में अपनी मां को एकमात्र व्यक्ति के रूप में नामित किया था। अपनी शादी और अपने बच्चे के जन्म के बाद भी उसने नामांकन विवरण में बदलाव नहीं किया था।
वर्ष 2019 में उस व्यक्ति की मौत हो जाने के बाद उसकी मां और पत्नी के बीच बीमा राशि के भुगतान को लेकर कानूनी लड़ाई शुरू हो गई।
उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए फैसला सुनाया कि मृतक व्यक्ति की मां, पत्नी और बच्चे को बीमा लाभों का एक-तिहाई हिस्सा मिलेगा।
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प्रेम अजय
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