पटना, 20 मार्च (भाषा) बिहार सरकार ने बृहस्पतिवार को विधानसभा को सूचित किया कि वह राज्य के कई हिस्सों में भूजल में आर्सेनिक की समस्या से निपटने के लिए उपाय कर रही है।
बिहार सरकार ने विधानसभा में कहा कि राज्य के कुछ जिलों में सब्जियों और अन्य कृषि उत्पादों में आर्सेनिक पाए जाने के बाद यह कदम उठाया गया है।
उपमुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि स्थिति का आकलन करने के लिए संबंधित विभागों की एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई है। उन्होंने कहा कि इस मामले पर लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण (पीएचईडी), स्वास्थ्य और लघु जल संसाधन विभागों के अधिकारियों के साथ भी चर्चा की जा रही है।
विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक प्रश्न का उत्तर देते हुए सिन्हा ने कहा, ‘आर्सेनिक दूषित भूजल के उपयोग से राज्य के कुछ जिलों में पत्तेदार सब्जियों, आलू सहित जड़ वाली सब्जियों और अन्य कृषि उत्पादों में आर्सेनिक की सांद्रता बढ़ गई है।’
उन्होंने बताया कि पत्तेदार सब्जियों में आर्सेनिक की मात्रा 0.1 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम, आलू समेत जड़ वाली सब्जियों में 0.3 मिलीग्राम/प्रति किलोग्राम तथा धान की फसलों में 1.0 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम पाई गई है।
बिहार के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) की ताजा रिपोर्ट हाल ही में विधानसभा में पेश की गई थी। इसके अनुसार राज्य के कुल 38 जिलों में से 31 जिलों के 26 प्रतिशत ग्रामीण वार्ड के भूजल स्रोतों में आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन की मात्रा निर्धारित सीमा से अधिक है।
बिहार आर्थिक सर्वेक्षण (2024-25) की ताजा रिपोर्ट में भी 4,709 ग्रामीण वार्ड में भूजल में निर्धारित सीमा से अधिक आर्सेनिक, 3,789 वार्ड में फ्लोराइड और 21,709 वार्ड में आयरन की मौजूदगी का उल्लेख किया गया है।
बिहार के पीएचईडी मंत्री नीरज कुमार सिंह ने हाल ही में ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया था, ‘हम इस तथ्य से अवगत हैं… स्थिति की गंभीरता को समझते हुए, राज्य सरकार ने ग्रामीण बिहार को ‘हैंडपंप मुक्त’ बनाने और ‘हर घर नल का जल’ योजना के तहत राज्य के ग्रामीण इलाकों में लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने का फैसला किया है। बिहार के सभी ग्रामीण इलाकों को जल्द ही ‘हैंडपंप मुक्त’ बना दिया जाएगा।’
भाषा अनवर अमित
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