(तस्वीर के साथ)
पटना, 12 अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने शनिवार को आरोप लगाया कि बिहार में बहुचर्चित शराबबंदी कानून राज्य के गरीबों के ‘‘मानसिक और आर्थिक शोषण’’ के लिए पुलिस का एक ‘औजार’ बनकर रह गई है।
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी ने यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए दावा किया कि नौ साल पहले पहली बार लागू हुए इस कड़े कानून का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए ‘‘99 प्रतिशत’’ लोग वंचित वर्ग के हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘अप्रैल 2016 में शराबबंदी लागू होने के बाद से राज्य में इस कानून के उल्लंघन के नौ लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। इन मामलों में 14 लाख से अधिक लोगों को जेल भेजा गया है।’’
तेजस्वी उस समय उपमुख्यमंत्री थे जब नीतीश कुमार सरकार ने राज्य में शराब की बिक्री और खपत पर पूरी तरह से रोक लगाई थी।
राजद नेता ने दावा किया, ‘‘लेकिन यह कानून पुलिस के लिए एक ‘औजार’ बन गया है, जिसके जरिये वह वंचितों का आर्थिक और मानसिक शोषण करती है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गिरफ्तार किए गए 99 प्रतिशत आरोपी आदिवासी, दलित और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समुदाय के हैं। केवल एक प्रतिशत अन्य सामाजिक समूहों से हैं।’’
उन्होंने कहा कि राज्य पुलिस का दावा है कि शराबबंदी लागू होने के बाद से अब तक उसने चार लाख लीटर से अधिक शराब जब्त की है।
तेजस्वी ने कहा, ‘‘इसमें से दो लाख लीटर से अधिक विदेशी शराब है। गरीब विदेशी शराब का सेवन या कारोबार नहीं करते हैं। फिर भी वे शराब व्यापार पर कार्रवाई का खामियाजा भुगत रहे हैं।’’
इस वर्ष के अंत में राज्य विधानसभा के लिए चुनाव होने हैं और माना जा रहा है कि तेजस्वी विपक्ष ‘महागठबंधन’ का नेतृत्व करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि सभी लोगों को मादक पदार्थों के सेवन से रोका जाए। लेकिन राज्य में शराब तस्करों और पुलिस के बीच गठजोड़ देखने को मिल रहा है, जो शराबबंदी लागू करने के नाम पर जबरन वसूली का धंधा चला रहे हैं। हम इसका पर्दाफाश करते रहेंगे और सत्ता में आने पर चीजों को सही करने की कोशिश करेंगे।’’
भाषा धीरज संतोष
संतोष