संयुक्त राष्ट्र/जिनेवा, तीन मार्च (भाषा) संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख ने सोमवार को कहा कि बांग्लादेश ने पिछले साल “हिंसा के दौर” का सामना किया, क्योंकि तत्कालीन सरकार ने मानवाधिकारों को केंद्र में रखते हुए चलाए जा रहे छात्र आंदोलन को “क्रूरतापूर्वक कुचल दिया।”
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के 58वें सत्र में कहा, “देश (बांग्लादेश) अब एक नये भविष्य की ओर अग्रसर है। हाल ही में हुए गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों पर हमारी स्वतंत्र तथ्य-अन्वेषण रिपोर्ट इस यात्रा में एक महत्वपूर्ण योगदान है।”
तुर्क ने उम्मीद जताई कि तथ्य-अन्वेषण रिपोर्ट सत्य-कथन, जवाबदेही, क्षतिपूर्ति, उपचारात्मक उपायों और सुधार को बढ़ावा देगी।
उन्होंने कहा, “आपराधिक मामलों में उचित प्रक्रिया सुनिश्चित करना और अल्पसंख्यकों के खिलाफ बदले की कार्रवाई की जांच करना महत्वपूर्ण होगा।”
बांग्लादेश में पिछले साल अगस्त में छात्रों के नेतृत्व में हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली 15 साल से अधिक पुरानी सरकार का पतन हो गया था। सत्ता से बेदखल होने के बाद हसीना भारत चली गई थीं।
पिछले महीने, मानवाधिकारों के लिए उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर) की तथ्य-अन्वेषण रिपोर्ट ‘बांग्लादेश में जुलाई और अगस्त 2024 के विरोध-प्रदर्शनों से संबंधित मानवाधिकार उल्लंघन और दुर्व्यवहार’ में कहा गया था कि पिछले साल देश में विरोध-प्रदर्शनों के दौरान और उसके बाद बांग्लादेश के हिंदू, अहमदिया मुस्लिम और मूल जातीय समुदायों के कुछ सदस्यों के मानवाधिकारों का हनन किया गया था।
रिपोर्ट में एक जुलाई से 15 अगस्त 2024 के बीच की अवधि शामिल थी, जिसमें अनुमान लगाया गया था कि हसीना सरकार के खिलाफ हुए विरोध-प्रदर्शनों के दौरान 45 दिनों में संभवत: “ 1,400 लोग मारे गए।”
भाषा पारुल नरेश
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