बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने सेना की मजिस्ट्रेटी शक्ति की अवधि बढ़ायी

Ankit
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ढाका, 13 मार्च (भाषा) मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने राष्ट्रव्यापी कानून और व्यवस्था की स्थिति के बीच बृहस्पतिवार को तीसरी बार सैन्य बलों की मजिस्ट्रेटी शक्ति को 60 दिनों के लिए बढ़ा दिया।


लोक प्रशासन मंत्रालय द्वारा यहां जारी एक बयान में कहा गया है, ‘‘बांग्लादेश सशस्त्र बलों में कैप्टन और उससे ऊपर के कमीशन प्राप्त अधिकारियों को पूरे देश में विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रेट पद की शक्तियां प्रदान की गई हैं।’’

बयान के अनुसार, नौसेना और वायु सेना के अधिकारियों के पास भी नागरिक प्रशासन की सहायता में कर्तव्यों का पालन करते समय कार्यकारी मजिस्ट्रेट के अधिकार होंगे। उनमें अर्धसैनिक ‘बांग्लादेश कोस्टगार्ड’ और ‘बोर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी)’ में प्रतिनियुक्ति पर सेवारत सैन्य और नौसेना अधिकारी भी शामिल होंगे।

इस सरकारी आदेश का नवीनीकरण ऐसे समय में किया गया है जब देश में पांच फरवरी से जारी हिंसा को रोकने के लिए ‘ऑपरेशन डेविल हंट’ नामक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जा रहा है।

उस दिन प्रदर्शनकारियों ने सबसे पहले बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान के 32 धानमंडी आवास को खुदाई संबंधी मशीनों की मदद से ध्वस्त कर दिया। उसी दिन उनकी बेटी और अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत से डिजिटल तरीके से भाषण देने वाली थीं। हसीना पिछले साल विद्यार्थियों के बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद भागकर भारत चली गयी थीं। इस विरोध प्रदर्शन के चलते उनकी अवामी लीग सरकार सत्ताच्युत हो गयी थी।

इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने पूरे देश में अवामी लीग के नेताओं और कार्यकर्ताओं के घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर हमला किया या उन्हें आग लगा दी।

सशस्त्र बलों को पहली बार 17 सितंबर, 2024 को मजिस्ट्रेटी शक्ति प्रदान की गई थी। उन्हें विद्यार्थियों के नेतृत्व वाले बड़े विरोध प्रदर्शनों में हसीना की अवामी लीग सरकार के पतन के लगभग एक महीने बाद यह शक्ति प्रदान की गयी थी। तब पुलिस मुख्य कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में खस्ताहाल स्थिति में थी।

प्राधिकार के अनुसार, सशस्त्र बलों के अधिकारी किसी भी संदिग्ध अपराधी को गिरफ्तार कर सकते हैं या गिरफ्तार करने का आदेश जारी कर सकते हैं।

लेकिन सेना प्रमुख जनरल वाकर उज जमान ने पिछले महीने कहा था कि सैन्य बल यथाशीघ्र अपने बैरकों में लौटने के लिए उत्सुक हैं, क्योंकि सेना के जवानों को पुलिस प्रणाली के लिए प्रशिक्षित नहीं किया गया है।

भाषा राजकुमार नरेश

नरेश



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