बजट से मध्यम वर्ग पर कर बोझ कम, लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप पूंजी लाभ कर में बदलाव: सीतारमण |

Ankit
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नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट का पुरजोर बचाव करते हुए बुधवार को कहा कि इसमें किये गये प्रस्तावों से मध्यम वर्ग पर कर का बोझ कम हुआ है। साथ ही मकान और जमीन पर पूंजीगत लाभ कर के प्रावधान में दी गयी छूट से पता चलता है कि सरकार आम लोगों की उम्मीदों के अनुरूप काम कर रही है।


सीतारमण ने लोकसभा में वित्त विधेयक (संख्या दो), 2024 पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि मानक कटौती में 50 प्रतिशत की वृद्धि से मध्यम वर्ग पर कर प्रभाव कम हुआ है। सही मायने में बजट कर की दरें बढ़ाये बिना कर व्यवस्था को सरल बनाता है।

विपक्षी दलों के स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी में कटौती की मांग पर उन्होंने कहा कि 2017 में जीएसटी (माल एवं सेवा कर) लागू होने से पहले राज्यों ने बीमा प्रीमियम पर कर लगाया था।

सीतारमण ने कहा कि संसद जीएसटी दरें तय करने का मंच नहीं है। इस मामले को जीएसटी परिषद में ले जाना जाना होगा, जिसमें राज्यों का दो-तिहाई प्रतिनिधित्व है।

लोकसभा ने वित्त मंत्री के जवाब के बाद ने 45 संशोधनों सहित विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। प्रमुख संशोधन अचल संपत्ति यानी जमीन और मकान के लेनदेन पर पूंजीगत लाभ कर लगाने को लेकर था।

चिकित्सा और जीवन बीमा प्रीमियम पर 18 प्रतिशत जीएसटी को वापस लेने की मांग करने वाले आरएसपी सदस्य एनके प्रेमचंद्रन द्वारा पेश किये गये संशोधन पर चर्चा नहीं होने के बाद विपक्षी सांसदों ने लोकसभा से बहिर्गमन किया।

वित्त विधेयक में एलटीसीजी (दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ) कर में संशोधन किया गया है। इसके तहत 23 जुलाई, 2024 से पहले खरीदी गई संपत्तियों की बिक्री पर इंडेक्सेशन यानी मुद्रास्फीति के प्रभाव का लाभ बहाल कर दिया गया है।

अब जिन व्यक्तियों या हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) ने 23 जुलाई, 2024 से पहले घर खरीदा है, वे नई योजना के तहत एलटीसीजी कर का भुगतान करने का विकल्प चुन सकते हैं। इंडेक्सेशन के बिना उन्हें 12.5 प्रतिशत और इंडेक्सेशन लाभ के साथ 20 प्रतिशत कर का भुगतान करने की जरूरत होगी। वे उस विकल्प को चुन सकते हैं, जिसमें कर की दर कम हो।

सीतारमण ने 2024-25 के बजट में इंडेक्सेशन लाभ के बिना रियल एस्टेट पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर को 20 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया था। इसकी विभिन्न तबकों ने आलोचना की थी। उनका मानना ​​था कि एलटीसीजी कर देनदारी बढ़ाएगी।

हालांकि, वित्त मंत्री ने अपने जवाब में कहा कि विभिन्न परिस्थिति में जो गणना की गयी, उसमें भी कर देनदारी में कोई वृद्धि नहीं हुई है और नई संपत्ति खरीद के मामले में मकान या जमीन मालिकों के पास एलटीसीजी कर दिये बिना बिक्री से प्राप्त राशि को फिर से निवेश का लाभ (रोलओवर) बरकरार रखा गया है।

सीतारमण ने कहा कि एलटीसीजी कर दर में बदलाव का जो प्रस्ताव किया गया था, उसका मकसद राजस्व सृजित करना नहीं था, बल्कि एक ही तरह की संपत्ति के बीच समानता लाने का एक प्रयास था। यह बदलाव संपत्ति मालिक को एक उचित विकल्प देता है।

उन्होंने कहा कि चिंताओं को दूर करने के लिए, 23 जुलाई, 2024 से पहले खरीदी गई संपत्तियों के लिए इंडेक्सेशन लाभ का विकल्प बहाल कर दिया गया है।

सीतारमण ने कहा कि वह 2019 में अपने पहले बजट के बाद से देशभर में घूमकर विभिन्न पक्षों से सुझाव लेती रही हैं और आम लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए संशोधनों के साथ यहां आई हैं।

वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के बजट प्रस्तावों का उद्देश्य मध्यम वर्ग को लाभ पहुंचाने के अलावा निवेश को बढ़ावा देना है।

उन्होंने कहा कि सूचीबद्ध इक्विटी शेयर और बॉन्ड में दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर कर छूट सीमा को एक लाख रुपये से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये करने से शेयर बाजारों में निवेश करने वाले मध्यम वर्ग को फायदा होगा।

उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने कर व्यवस्था को सरल बनाने के साथ करों में भारी वृद्धि किए बिना अनुपालन को आसान बनाया है। विभिन्न वस्तुओं पर सीमा शुल्क में कटौती से व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार सृजित होगा।

सीतारमण ने यह भी कहा कि करदाता नई कर व्यवस्था को अब तरजीह दे रहे हैं। एक साल में यह रुझान देखने को मिला है।

उन्होंने कहा कि आकलन वर्ष 2024-25 के लिए 31 जुलाई, 2024 तक कुल 7.22 करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल किये गये। इसमें से 5.25 करोड़ लोगों या 72.8 प्रतिशत ने नई कर व्यवस्था का विकल्प चुना।

वहीं आकलन वर्ष 2023-24 में नई कर व्यवस्था के तहत आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या 30.93 लाख थी।

सीतारमण ने कहा कि 2023 में नई आयकर व्यवस्था में स्लैब में बदलाव से लोगों को 37,500 रुपये की कर बचत हुई। चालू वित्त वर्ष में इसमें और बदलाव किये गये। साथ ही मानक कटौती को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये किया गया है। इससे नौकरीपेशा लोगों 17,500 रुपये की राहत मिलेगी।

भाषा रमण अजय

अजय



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