नयी दिल्ली, दो फरवरी (भाषा) सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 में निर्यात संवर्धन योजनाओं के लिए 2,250 करोड़ रुपये का आवंटन किया है, जो 2024-25 के संशोधित बजट अनुमान में आवंटित 2,718.73 करोड़ रुपये से 17 प्रतिशत कम है।
बजट दस्तावेज के अनुसार, वाणिज्य विभाग के लिए आवंटन अगले वित्त वर्ष के लिए 5,300.99 करोड़ रुपये रह गया है, जबकि चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान (आरई) में यह 5,624 करोड़ रुपये था।
निर्यात संवर्धन योजनाओं के तहत, बाजार पहुंच पहल (एमएई) और ब्याज समानीकरण योजना के लिए कोई कोष आवंटित नहीं किया गया है। हालांकि, यह योजना 31 दिसंबर, 2024 को समाप्त हो गई, लेकिन निर्यातक समुदाय लगातार इसके विस्तार की मांग कर रहा है। अब सरकार ने निर्यात संवर्धन मिशन शुरू करने की योजना की घोषणा की है।
बजट दस्तावेज में कहा गया, “निर्यात संवर्धन मिशन नामक नई योजना भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को सुविधाजनक बनाने के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करने को तैयार की गई है।”
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को अपने बजट भाषण में कहा था कि इस मिशन के माध्यम से सरकार निर्यातकों को ऋण तक आसान पहुंच, सीमा पार फैक्टरिंग सहायता और विदेशी बाजारों में गैर-शुल्क उपायों से निपटने के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) को सहायता प्रदान करेगी।
शुल्क वापसी योजना के लिए भी धनराशि 2025-26 के लिए घटकर 181.9 करोड़ रुपये रह गई है, जबकि 2024-25 के संशोधित अनुमान में यह 258.2 करोड़ रुपये थी।
शुल्क वापसी योजना को निर्यात को बढ़ावा देने के लिए डिजायन किया गया है। इसका उद्देश्य निर्यात उत्पादों की विनिर्माण लागत में निहित सभी शुल्कों या करों की भरपाई करना है। इस योजना की मूल अवधारणा यह है कि निर्यातित उत्पादों पर देश के कर नहीं लगने चाहिए ताकि वे राजस्व तटस्थ रहें और विश्व बाजार में समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें।
हालांकि, अगले वित्त वर्ष के लिए चाय, कॉफी, रबड़ और मसाला बोर्ड के लिए आवंटन बढ़ाकर क्रमशः 771.55 करोड़ रुपये, 280 करोड़ रुपये, 360.31 करोड़ रुपये और 153.81 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
भाषा अनुराग अजय
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