(सुमुदु मल्लावाराच्ची और डायलन क्लिफ, वोलोंगोंग विश्वविद्यालय)
वोलोंगोंग (ऑस्ट्रेलिया) , छह अगस्त (द कन्वरसेशन) स्क्रीन टाइम ऑस्ट्रेलियाई माता-पिता के लिए सबसे बड़ी चिंताओं में से एक है। रॉयल चिल्ड्रन हॉस्पिटल मेलबर्न द्वारा फरवरी 2021 में किए गए राष्ट्रीय सर्वेक्षण में अभिभावकों ने इसे अपने बच्चों के सामने सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्या बताया।
हमारे पिछले शोध से यह भी पता चलता है कि अभिभावक स्क्रीन के बारे में दोषी महसूस करते हैं, भले ही वे हमारे चारों ओर हों। साथ ही, अभिभावकों को क्या करना चाहिए, इस बारे में मार्गदर्शन भ्रामक है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और ऑस्ट्रेलिया सरकार के अनुसार, दो से पांच साल के बच्चों के लिए स्क्रीन का समय प्रतिदिन एक घंटे से ज्यादा नहीं होना चाहिए, जबकि दो साल से कम उम्र के बच्चों को स्क्रीन के संपर्क में बिल्कुल भी नहीं आना चाहिए।
लेकिन यू.के. रॉयल कॉलेज ऑफ पीडियाट्रिक्स एंड चाइल्ड हेल्थ ने कहा है कि ‘‘व्यापक राष्ट्रीय मार्गदर्शन या सीमाएं निर्धारित करना असंभव है’’ क्योंकि स्क्रीन का प्रभाव संदर्भ पर बहुत अधिक निर्भर करता है और साक्ष्य अनिश्चित हैं। इससे हमें आश्चर्य हुआ कि बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए स्क्रीन टाइम से परे और क्या मायने रखता है। इसलिए हमने बच्चों द्वारा स्क्रीन का इस्तेमाल करने के संदर्भ में सभी उपलब्ध साक्ष्य एकत्र किए।
हमारा शोध
जामा पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित हमारे नए शोध में, हमने जन्म से लेकर पांच वर्ष तक के बच्चों में संज्ञानात्मक (मस्तिष्क), सामाजिक और भावनात्मक विकास पर स्क्रीन उपयोग संदर्भों के प्रभाव पर 100 अध्ययनों की समीक्षा की। स्क्रीन में टीवी, कंप्यूटर गेम, स्मार्टफोन और टैबलेट शामिल थे। 1978 और 2023 के बीच प्रकाशित इन अध्ययनों में 30 देशों के 1,76,000 से अधिक बच्चे और उनके परिवार शामिल थे। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, कनाडा, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल थे।
1. स्क्रीन के लिए साथ-साथ समय बिताएं
हमने जिन अध्ययनों का विश्लेषण किया है, उनसे पता चलता है कि अगर बच्चे और देखभाल करने वाले एक साथ स्क्रीन का इस्तेमाल करते हैं (जिसे साथ-देखना भी कहा जाता है), तो यह बच्चों की सोच और तर्क कौशल के लिए फायदेमंद होता है। यह उनके भाषा विकास के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है, जिसमें बच्चों द्वारा जाने जाने वाले शब्दों की संख्या, उनके सामाजिक संचार कौशल, भाषा समझ शामिल हैं।
जब आप साथ में देखते हैं तो आप इस बारे में बातचीत कर सकते हैं कि बच्चे क्या देख रहे हैं या क्या कर रहे हैं, उन्हें विषय-वस्तु को समझने में मदद करें। इससे उनकी भाषा के विकास और सीखने में मदद मिल सकती है।
2. उम्र के हिसाब से उपयुक्त विषय वस्तु चुनें जो खेलने को प्रोत्साहित करे
स्क्रीन पर बिताया गया हर समय ‘‘बुरा’’ नहीं होता, लेकिन हमें विषय वस्तु पर विचार करना चाहिए और यह भी देखना चाहिए कि यह बच्चे के विकास और व्यवहार को कैसे प्रभावित कर सकता है।
हमारे शोध में पाया गया कि बच्चों में उम्र के हिसाब से अनुचित विषय वस्तु देखने और खराब सामाजिक कौशल और व्यवहार के बीच संबंध है।
यह बच्चों के लिए उद्देश्यपूर्ण और उच्च गुणवत्ता वाले स्क्रीन अनुभवों के महत्व को उजागर करता है। अभिभावक खुद से पूछ सकते हैं कि विषय वस्तु किस उम्र या विकासात्मक अवस्था के लिए डिजाइन की गई है और क्या यह सीखने और विकास को बढ़ावा देती है? क्या यह वास्तविक दुनिया में कल्पनाशील खेल और रचनात्मकता को बढ़ावा देती है? क्या विषय वस्तु में सकारात्मक सामाजिक संदेश हैं ? क्या यह संगीत पर नृत्य करने जैसी हरकतों को प्रोत्साहित करती है?
हिंसक सामग्री और वयस्क दर्शकों के लिए बनी विषय वस्तु से बचना महत्वपूर्ण है।
3. स्क्रीन को माता-पिता और बच्चे के बीच बातचीत में बाधा न बनने दें
मोबाइल तकनीक का मतलब है कि बच्चे लगभग कहीं भी और कभी भी स्क्रीन का इस्तेमाल कर सकते हैं। माता-पिता के लिए भी यही सच है।
कभी-कभी अभिभावकों की स्क्रीन उनके और उनके बच्चे के बीच बातचीत और संबंधों में बाधा डाल सकती है। हमारे अध्ययन में, जब अभिभावक बातचीत और पारिवारिक भोजन जैसी दिनचर्या के दौरान स्क्रीन का इस्तेमाल करने से बचते हैं, तो बच्चों के सामाजिक कौशल, व्यवहार और अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने की क्षमता बेहतर होती है।
जब माता-पिता का ध्यान बंटता है, तो यह उनके बच्चे के साथ बातचीत की गुणवत्ता और मात्रा को प्रभावित कर सकता है।
4. बैकग्राउंड में टीवी न चलाएं
बच्चे अपने परिवेश से सीखते हैं और बैकग्राउंड में टीवी चलने से बच्चे का ध्यान खेलने और सीखने से हट सकता है। हमारे शोध में पाया गया कि जब घर में बैकग्राउंड में टीवी कम चलता है तो बच्चों की सोच, तर्क और भाषा की क्षमता बेहतर होती है।
ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि बैकग्राउंड में टीवी चलने पर अभिभावकों और बच्चों के बीच बातचीत कम होती है।
इसलिए, जब टीवी सक्रिय रूप से नहीं देखा जा रहा हो, तो उसे बंद कर दें ताकि बच्चे खेल सकें, सुन सकें और सीख सकें।
(द कन्वरसेशन) आशीष पवनेश
पवनेश