नयी दिल्ली, 19 मार्च (भाषा) कांग्रेस नेतृत्व ने बुधवार को पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के नेताओं के साथ मंथन किया, जिसमें यह फैसला किया गया कि पार्टी राज्य के सभी 294 विधानसभा क्षेत्रों में खुद को मजबूत करेगी। हालांकि, पार्टी ने गठबंधन को लेकर फिलहाल कुछ तय नहीं किया है।
राज्य में अगले साल मार्च-अप्रैल में विधानसभा चुनाव संभावित हैं।
कांग्रेस मुख्यालय ‘इंदिरा भवन’ में हुई बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के अलावा कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर, प्रदेश अध्यक्ष शुभांकर सरकार, वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी, दीपा दासमुंशी और कई अन्य नेता शामिल हुए।
राहुल ने बैठक के बाद नेताओं के साथ अपनी तस्वीर साझा करते अपने व्हाट्सएप चैनल पर कहा, ‘आज इंदिरा भवन, नयी दिल्ली में हमारे पश्चिम बंगाल कांग्रेस नेतृत्व के साथ मेरी सार्थक चर्चा हुई। फोकस स्पष्ट था-जमीनी स्तर पर अपनी पार्टी को मजबूत करना और लोगों के अधिकारों के लिए लड़ना।’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस बंगाल की आकांक्षाओं की आवाज बनने का प्रयास करेगी।
बैठक के बाद मीर ने संवाददाताओं से कहा, ‘इस बैठक में पश्चिम बंगाल कांग्रेस के नेताओं ने अपनी बात रखी और नेतृत्व के साथ प्रदेश के मुद्दों पर चर्चा की।’
उन्होंने कहा, “राज्य और केंद्र सरकार की खामियों के चलते आज पश्चिम बंगाल की जनता नाराज है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी की एक अहम भूमिका बनती है और इसके लिए हम योजनाबद्ध तरीके से पश्चिम बंगाल के लोगों की नुमाइंदगी करने को तैयार हैं।”
मीर ने कहा कि पश्चिम बंगाल के लोग चाहते हैं कि राज्य में कांग्रेस पार्टी मजबूत भूमिका निभाए, इसलिए ‘हम उनकी आवाज और उनके मुद्दे सड़क पर उतरकर उठाएंगे।’
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर मीर ने कहा, ‘अभी हम अपनी पार्टी को मजबूत करने और बंगाल के लोगों की आवाज पेश करने के लिए खुद को मैदान में उतार रहे हैं। चुनाव बहुत दूर हैं… जब समय आएगा, हम देखेंगे।”
उन्होंने कहा, ‘अभी बंगाल की जनता, युवा, बेरोजगार लोग चाहते हैं कि कांग्रेस एक मजबूत भूमिका निभाए। अभी हम सभी 294 सीट पर अपनी संगठनात्मक तैयारी करेंगे। मैंने हमेशा यही कहा है।’
कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल का पिछला विधानसभा चुनाव वाम दलों के साथ मिलकर लड़ा था। हालांकि, उसे कोई सीट हासिल नहीं हुई थी।
भाषा हक पारुल
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