बंगाल की मशहूर मिठाई ‘नोलेन गुड़ संदेश’ समेत सात उत्पादों को विशेष भौगोलिक पहचान का दर्जा

Ankit
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कोलकाता, चार अप्रैल (भाषा) पश्चिम बंगाल की मशहूर मिठाई ‘नोलेन गुड़ संदेश’ और बरुईपुर अमरूद सहित राज्य के सात उत्पादों को विशेष भौगोलिक पहचान (जीआई) का दर्जा मिला है।


राज्य सरकार के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि इस कदम से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने और राज्य के पारंपरिक प्रसाद को वैश्विक पहचान मिलने की उम्मीद है।

ताजा ‘छेना’ और ‘नोलेन गुड़ (खजूर का गुड़) से बना सर्दियों का मीठा व्यंजन ‘नोलेन गुड़ संदेश’ की बंगाली घरों में खास अहमियत है।

दक्षिण कोलकाता के एक मिठाई बनाने वाले ने कहा, ‘यह गुड़ सर्दियों में बनने वाले संदेश मिठाई की जान है। इसके बिना सर्दियों का संदेश वैसा नहीं हो पाएगा।’

खजूर के गुड़ को अब आधुनिक पैकेजिंग में बेचा जाता है और इसकी उपयोगिता अवधि भी लंबी होती है, जिससे भविष्य में इसके विस्तार की उम्मीद जगी है।

खजूर के इस गुड़ का इस्तेमाल एक और पारंपरिक मिठाई ‘जॉयनगर मोया’ में भी किया जाता है, जिसे कुछ साल पहले ‘जीआई टैग’ मिला था।

इस बार पश्चिम बंगाल के कुल सात उत्पादों को जीआई टैग मिला है। इसमें कमरपुकुर का सफेद ‘बोंडे’, मुर्शिदाबाद का ‘छनबोरा’, बिष्णुपुर का ‘मोतीचूर लड्डू’, राधुनीपगल चावल और मालदा का निस्तारी रेशमी धागा भी शामिल हैं।

फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन ऑफ कॉटेज एंड स्मॉल इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष एच के गुहा ने कहा, ‘सात नए उत्पादों के लिए जीआई टैग की घोषणा एक बड़ा कदम है। विभिन्न क्षेत्रों में पाये जाने वाले कई खा उत्पादों को अभी भी अपनी पहचान का इंतजार है।’

पश्चिम बंगाल को अब तक हस्तशिल्प, वस्त्र, चाय, खाद्य पदार्थ और कला रूपों सहित 26 उत्पादों के लिए जीआई पहचान मिल चुके हैं।

पश्चिम बंगाल में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस संबंध में जिलों में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

पश्चिम बंगाल अब मोगराहाट के पारंपरिक चांदी शिल्प के अलावा शक्तिगढ़ के ‘लंगचा’, कृष्णनगर के ‘स्वर पुरी’, राणाघाट के ‘पंतुआ’ जैसी मिठाइयों के लिए जीआई पहचान पर जोर दे रहा है।

पूरे भारत में 500 से अधिक उत्पादों को जीआई मान्यता मिल चुकी है।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण



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