Face To Face Madhya Pradesh: भोपाल। ईद का मुबारक मौका.. अमन और खुलूस का मौका.. पर इस दौरान भी कुछ लोग सियासत से बाज नहीं आते। भोपाल में फिलीस्तीन के झंडे दिखे, फिर काली पट्टी दिखी, फिर वहीं मजहब की आड़ में पॉलिटिकल एजेंडा दिखा। आखिर ऐसे लोग चाहते क्या हैं? भारत के अंदर.. भारत के बाहर की राजनीति क्यों? फिलीस्तीन का झगड़ा क्या भारत के मुसलमानों का झगड़ा है, क्यों ऐसी राजनीति कि ईद जैसे मौकों पर भी लोग भाईचारा भूलकर आपस में बंटते दिखे?
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भोपाल के ईदगाह में ईद के दौरान नमाज पढ़ी जा रही थी। इसी दौरान कुछ युवक फिलिस्तीन के समर्थन में पोस्टर लिए नजर आए, जिसमें I STAND WITH PALESTINE.. लिखा था और नमाज के बाद फिलिस्तीन के समर्थन में युवाओं ने दुआ भी पढ़ी और वक्फ बिल के विरोध में काली पट्टी बांधकर नमाज पढ़ते नजर आए। जैसे ही ये मामला चर्चा में आया तो इस पर सियासत भी शुरु हो गई। बीजेपी ने इसे देश में अराजकता फैलाने की कोशिश बताई।
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बीजेपी ने जहां फिलिस्तीन के पोस्टर लेकर नमाज की दुआ पढ़ने पर कांग्रेस और प्रियंका गांधी पर प्रहार किया तो कांग्रेस ने पलटवार करते हुए पठानकोट हमले और पुलवामा हमले को लेकर बीजेपी की घेराबंदी की। पहले वक्फ बिल के विरोध में काली पट्टी और अब ईद के मौके पर फिलिस्तीन के सपोर्ट में पोस्टर। भोपाल में नई बहस छेड़ दी है कि, आखिर मस्जिदों में इबादत की जगह सियासत क्यों, क्या विरोध की ये नई रवायत मजहब और सियासत के –घालमेल को और तेज नहीं करेगी और क्या इससे धर्म में राजनीति की दखलंदाजी और नहीं बढ़ेगी?