(फाइल फोटो के साथ)
नागपुर, चार अगस्त (भाषा) महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के वरिष्ठ नेता अनिल देशमुख ने रविवार को दावा किया कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की शह पर बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे उन पर आरोप लगा रहे हैं क्योंकि भाजपा नेता (फडणवीस) ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ लेना चाहते हैं।
देशमुख ने फडणवीस को न्यायमूर्ति चांदीवाल आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की चुनौती दी और दावा किया कि उन्हें ‘क्लीन चिट’ दे दी गई है।
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि देशमुख ने गृह मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान पुलिस अधिकारियों से बार और रेस्तराओं से हर माह 100 करोड़ रुपये वसूलने को कहा था। इस आरोप के मद्देनजर देशमुख ने 2021 में गृह मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।
देशमुख के आरोपों पर फडणवीस ने कहा कि राकांपा (एसपी) के नेता ‘निरर्थक काल्पनिक बातें’ कह रहे हैं।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि चांदीवाल आयोग की रिपोर्ट तब सौंपी गयी थी जब महा विकास आघाड़ी सरकार सत्ता में थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी।
देशमुख ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सेवानिवृत न्यायमूर्ति चांदीवाल ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह और बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे द्वारा मुझ पर लगाये गये आरोपों की 11 महीने तक जांच की थी और स्पष्ट रूप से कहा कि न तो मैंने और न ही मेरे निजी सहायक ने उनसे पैसे मांगे थे और न ही दिये थे।’’
एक दिन पहले ही वाजे ने देशमुख के खिलाफ रिश्वतखोरी का आरोप को दोहराया था।
देशमुख ने फडणवीस पर वाजे के माध्यम से आरोप लगवाकर ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ लेने एवं चांदीवाल आयोग रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करने का आरोप लगाया।
उल्लेखनीय है कि हाल में देशमुख ने आरोप लगाया था कि जब वह महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार में गृहमंत्री थे तब बतौर विपक्षी नेता फडणवीस ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार एवं कुछ मंत्रियों समेत बड़े नेताओं को फंसाने के लिए उनपर दबाव डालने की कोशिश की थी।
देशमुख ने आज कहा, ‘‘दो साल पहले न्यायमूति चांदीवाल ने राज्य (महायुति) सरकार को रिपोर्ट सौंपी। मैंने कई बार फडणवीस को पत्र लिखकर उनसे इस जांच आयोग के निष्कर्षों को सामने रखने का अनुरोध किया था। लेकिन उन्होंने अब तक न तो इसे सार्वजनिक किया और न ही इसे राज्य विधानमंडल के पटल पर रखा।’’
फडणवीस ने यह कहते हुए देशमुख के आरोप का जवाब दिया कि एमवीए सरकार इस आयोग की रिपोर्ट पर बैठी रही, जब वह (नवंबर2019 से जून 2022 तक) सत्ता में थी और उसने उसपर कोई कार्रवाई नहीं की।
फडणवीस ने कहा, ‘‘अनिल देशमुख पिछली सरकार में गृहमंत्री थे। उन्होंने परमबीर सिंह को मुंबई का पुलिस आयुक्त बनाया और सचिन वाजे को सेवा में वापस लाया। इसी तरह यह केंद्र सरकार के नहीं, बल्कि उच्च न्यायालय के निर्देश पर प्राथमिकी दर्ज की गयी और परमबीर सिंह के बयान पर आधारित उनके (देशमुख के ) मामले को सीबीआई को सौंपा गया।’’
उन्होंने कहा कि देशमुख की जमानत अर्जियों पर उच्च न्यायालय के आदेशों पर नजर डालने से पता चल जाएगा कि वह गुनहगार हैं या बेकसूर।
वाजे ने पहले जांच आयोग के सामने कहा था कि उन्होंने देशमुख के सहयोगियों को उनके निर्देश पर पैसे पहुंचाये थे। वाजे पर उद्योगपति मुकेश अंबानी के निवास के बाहर जिलेटिन की छड़ें लगाने का आरोप है। उन पर व्यापारी मनसुख हिरन की हत्या के सिलसिले में भी मामला दर्ज किया गया है। वह फिलहाल नवी मुंबई की तलोजा जेल में हैं।
वाजे ने शनिवार को देशमुख पर रिश्वतखोरी के आरोपों को दोहराया।
इस बीच भाजपा प्रवक्ता राम कुलकर्णी ने देशमुख के आरोपों को ‘बचकाना’ बताया और कहा कि सीबीआई के पास उनके ‘कुकृत्यों’’ के साक्ष्य हैं।
भाषा राजकुमार रंजन
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