प्रशांत किशोर के प्रमुख सहयोगियों ने उनसे आमरण अनशन समाप्त करने का आग्रह किया |

Ankit
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पटना, सात जनवरी (भाषा) बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) द्वारा 13 दिसंबर को आयोजित 70वीं संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगी परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर आमरण अनशन कर रहे जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर से उनके सहयोगियों ने अनशन समाप्त करने का आग्रह किया है।


किशोर को गहन चिकित्सा जांच के लिए मंगलवार को पटना के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया।

पटना के एक निजी अस्पताल के एक चिकित्सक ने आज सुबह किशोर के घर जाकर उनके स्वास्थ्य की जांच की। उन्होंने बताया ‘उन्हें चिकित्सा संबंधी कुछ समस्याएं हैं जिनकी गहन जांच की जरूरत है। हम उन्हें गहन चिकित्सा जांच के लिए अस्पताल ले जा रहे हैं।

आमरण अनशन कर रहे किशोर को संक्रमण, निर्जलीकरण, कमजोरी और बेचैनी की समस्या है। उनको एक एंबुलेंस में निजी अस्पताल ले जाया गया।

किशोर को सोमवार को पुलिस ने ‘अवैध’ आमरण अनशन के लिए गिरफ्तार किया था। यहां की एक अदालत द्वारा न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के कुछ घंटों बाद उन्हें ‘बिना शर्त’ जमानत पर रिहा कर दिया गया।

जनसुराज पार्टी के नेताओं पवन के वर्मा और वाई वी गिरि ने पटना के जयप्रभा मेदांता अस्पताल के चिकित्सा निदेशक रविशंकर सिंह की मौजूदगी में किशोर की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में मीडिया को जानकारी दी।

वर्मा ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि बीपीएससी उम्मीदवारों के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से मिलने की उनकी ‘‘अनिच्छा’’ उनकी असंवेदनशीलता को दर्शाती है। उन्होंने कहा, ‘‘वह (नीतीश) राज्य के अभिभावक हैं, लेकिन विरोध करने वाले उम्मीदवारों से मिलने को तैयार नहीं हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘हमने प्रशांत किशोर से सामान्य भोजन लेने और अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने पर विचार करने को कहा है।’

वर्मा ने कहा कि उनकी लड़ाई सराहनीय है, लेकिन बिहार कई समस्याओं का सामना कर रहा है और लंबे संघर्ष के लिए उनके लिए अपना ख्याल रखना भी जरूरी है।

अस्पताल के चिकित्सा निदेशक रविशंकर सिंह ने कहा, ‘हम उनसे अनुरोध कर रहे हैं कि वह सामान्य भोजन लेना शुरू करें, जिससे उन्हें जल्दी ठीक होने में मदद मिलेगी। अगर उनकी हालत में सुधार होता है, तो उन्हें कल आईसीयू से बाहर लाया जा सकता है…लेकिन उन्हें छुट्टी दिए जाने का अभी सवाल ही नहीं उठता।’

पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता गिरि ने कहा, ‘कार्यपालिका बीपीएससी उम्मीदवारों की चिंताओं को दूर करने में बुरी तरह विफल रही है। यह ऐसा मुद्दा नहीं है जिसे विधायिका हल कर सके। इसलिए अब हमें न्यायपालिका के शरण में जाना चाहिए। मैं अपने 52 साल के कानूनी अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि हम जल्द राहत की उम्मीद कर सकते हैं।’

गिरि से यह भी पूछा गया कि क्या उच्चतम न्यायालय द्वारा बीपीएससी मामले संबंधी याचिका को खारिज करना एक झटका था, उन्होंने ‘ना’ में जवाब देते हुए कहा, ‘याचिका एक ‘लॉ फर्म’ द्वारा दायर की गई थी…जिसने मूर्खतापूर्ण तरीके से काम किया। ऐसे सभी मुद्दों में, आम तौर पर लोग उच्च न्यायालय जाते हैं और राहत न मिलने पर ही उच्चतम न्यायालय का रुख करते हैं। इसके अलावा, ‘लॉ फर्म’ को पीड़ित पक्ष नहीं होने के कारण रिट याचिका दायर नहीं करनी चाहिए थी।’’

उच्चतम न्यायालय ने 13 दिसंबर, 2024 को आयोजित बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) परीक्षा में कथित अनियमितताओं और प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई से संबंधित याचिका पर विचार करने से मंगलवार को इनकार कर दिया। भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह अपनी शिकायतों के साथ पटना उच्च न्यायालय का रुख करें।

इस बीच, जिला प्रशासन ने एक बयान जारी कर किशोर द्वारा लगाए गए इन आरोपों का खंडन किया कि उनके साथ मौजूद पुलिसकर्मियों ने चिकित्सकों पर ‘‘झूठी’’ मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने के लिए दबाव डालने की कोशिश की थी।

इसके अलावा, पटना जिला परिवहन कार्यालय ने मंगलवार को आरोप लगाया कि कथित तौर पर जिस वैनिटी वैन का इस्तेमाल किशोर गांधी मैदान में विरोध प्रदर्शन के दौरान कर रहे थे, वह मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करती है।

जिला परिवहन कार्यालय द्वारा मंगलवार को जारी एक बयान में कहा गया कि परिवहन विभाग के अधिकारियों द्वारा वैन के दस्तावेजों की जांच की जा रही है।

भाषा अनवर सिम्मी

सिम्मी



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