प्रधान की ‘राजनीति’ वाली टिप्पणी पर स्टालिन ने कहा- ‘मधुमक्खी के छत्ते पर पत्थर नहीं फेंके’

Ankit
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नयी दिल्ली/चेन्नई, 21 फरवरी (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार और तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के बीच भाषा विवाद शुक्रवार को तब और गहरा गया जब केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दक्षिणी राज्य को राजनीति से ऊपर उठने के लिए कहा।


प्रधान के बयान पर द्रमुक ने पलटवार करते हुए कहा कि वह अपनी दो-भाषा नीति से पीछे नहीं हटेगी और केंद्र सरकार को आगाह किया कि वह ‘‘मधुमक्खी के छत्ते पर पत्थर नहीं फेंके।’’

प्रधान ने तमिलनाडु में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन को लेकर मुख्यमंत्री एम के स्टालिन पर निशाना साधा और उन पर ‘राजनीतिक एजेंडे को बनाए रखने के लिए प्रगतिशील सुधारों को खतरे के रूप में पेश करने’ का आरोप लगाया।

इसके जवाब में द्रमुक ने संकेत दिया कि तमिलनाडु से केंद्रीय निधियों में से इसका हिस्सा देने के बदले हिंदी को शामिल करते हुए तीन-भाषा नीति और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू करने के लिए कहा जा रहा है।

द्रमुक अध्यक्ष स्टालिन ने कहा कि जब तक वह और उनकी पार्टी मौजूद है, वह तमिल भाषा, राज्य और उसके लोगों के खिलाफ किसी भी तरह की गतिविधि की अनुमति नहीं देंगे।

कथित तौर पर हिंदी को थोपना तमिलनाडु में एक संवेदनशील विषय रहा है और द्रमुक ने 1965 में बड़े पैमाने पर हिंदी विरोधी आंदोलन का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया था। इस आंदोलन के दौरान कई तमिल समर्थक कार्यकर्ताओं ने भाषा थोपे जाने के खिलाफ अपनी जान दे दी थी और इनमें से ज्यादातर ने आत्मदाह कर लिया था।

मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक ने भी एनईपी को लेकर केंद्र पर निशाना साधा।

प्रधान ने स्टालिन को लिखे पत्र में कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर छात्रों के हितों के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से उन्हें लाभ होगा।

शिक्षा मंत्री स्टालिन द्वारा बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे गए पत्र का जवाब दे रहे थे।

स्टालिन ने अपने पत्र में कहा कि केंद्र प्रायोजित दो पहलों समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) और पीएम श्री स्कूल को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) से जोड़ना मौलिक रूप से अस्वीकार्य है।

प्रधान ने स्टालिन को लिखे अपने पत्र में कहा, “प्रधानमंत्री को भेजा गया पत्र मोदी सरकार द्वारा प्रचारित सहकारी संघवाद की भावना का पूर्ण खंडन है। इसलिए, राज्य के लिए एनईपी 2020 को अदूरदर्शी दृष्टि से देखना और अपने राजनीतिक एजेंडे को बनाए रखने के लिए प्रगतिशील शैक्षिक सुधारों को खतरे में डालना अनुचित है।”

तमिलनाडु और केंद्र सरकार राज्य में नयी शिक्षा नीति के कार्यान्वयन को लेकर आमने-सामने हैं। द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सरकार ने शिक्षा मंत्रालय पर महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए धन रोकने का आरोप लगाया है।

मंत्री ने लिखा, “राजनीतिक कारणों से एनईपी 2020 का लगातार विरोध तमिलनाडु के छात्रों, शिक्षकों और शैक्षणिक संस्थानों को इस नीति द्वारा प्रदान किए जाने वाले अपार अवसरों और संसाधनों से वंचित करता है। नीति को लचीला बनाया गया है, जिससे राज्यों को अपनी विशिष्ट शैक्षिक आवश्यकताओं के अनुरूप इसके कार्यान्वयन को अनुकूलित करने की अनुमति मिलती है।”

प्रधान ने लिखा, “इसके अलावा, समग्र शिक्षा जैसे केंद्र समर्थित कार्यक्रम एनईपी 2020 के साथ संरेखित हैं। साथ ही, पीएम श्री विद्यालयों को एनईपी के आदर्श स्कूल के रूप में परिकल्पित किया गया है।”

प्रधान ने तमिलनाडु के तीन-भाषा फॉर्मूले के विरोध पर स्पष्ट किया कि नीति किसी भी भाषा को थोपने की वकालत नहीं करती है।

उन्होंने कहा, “कई गैर-भाजपा राज्यों ने राजनीतिक मतभेदों के बावजूद एनईपी की प्रगतिशील नीतियों को लागू किया है। इसलिए, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठें और हमारे छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए मामले को समग्र रूप से देखें।”

इसका जवाब देते हुए स्टालिन ने कहा कि प्रधान ने शिक्षा विभाग के लिए 2,152 करोड़ रुपये के कोष से जुड़ी राज्य के अनुरोध का जवाब तमिलनाडु को शिक्षा में राजनीति न करने के लिए कहकर दिया है।

स्टालिन ने कहा, ‘‘शिक्षा में राजनीति कौन कर रहा है – आप या हम? क्या यह ब्लैकमेल है कि निधि केवल तभी जारी की जाएगी जब तीन भाषा नीति स्वीकार की जाएगी, क्या यह राजनीति नहीं है? क्या एनईपी के नाम पर हिंदी थोपना राजनीति नहीं है? क्या बहुभाषी और बहुलतावादी देश को एक-भाषा वाले देश और एक राष्ट्र में बदलना राजनीति नहीं है? क्या किसी योजना के लिए निर्धारित निधि को दूसरी योजना को लागू करने के ‘शर्त’ के रूप में बदलना राजनीति नहीं है।’’

कुड्डालोर जिले में एक सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्टालिन ने कहा, ‘‘मैं केंद्र को चेतावनी देता हूं, मधुमक्खी के छत्ते पर पत्थर नहीं फेंके। तमिलों की अनूठी लड़ाई की भावना को देखने की आकांक्षा मत करो। जब तक मैं और द्रमुक मौजूद हैं, तमिल, तमिलनाडु और उसके लोगों के खिलाफ किसी भी गतिविधि को राज्य में चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।’’

उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि राज्य केवल दो भाषा नीति का पालन करेगा, यानी तमिल और अंग्रेजी। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु केंद्र से केवल अपने द्वारा दिए गए करों से मिलने वाले धन का हिस्सा मांग रहा है।

इस राजनीतिक टकराव के बीच भाजपा की राज्य इकाई ने मुख्यमंत्री के खिलाफ ऑनलाइन ‘गेटआउट स्टालिन’ अभियान भी शुरू किया।

हालांकि, भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के अन्नामलाई की पहल का उद्देश्य कानून-व्यवस्था और महिला सुरक्षा सहित अन्य मुद्दों पर द्रमुक सरकार की कथित विफलताओं को उजागर करना था, लेकिन अभियान के शीर्षक का चयन एनईपी और भाषा विवाद से उपजा प्रतीत होता है।

भाषा संतोष देवेंद्र

देवेंद्र



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