पेड़ों की कटाई पर उपराज्यपाल ने न्यायालय से कहा, पूर्व अनुमति के बारे में नहीं बताया गया

Ankit
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नयी दिल्ली, 23 अक्टूबर (भाषा) दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि उन्हें रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के लिए पूर्व अनुमति की आवश्यकता के बारे में जानकारी नहीं दी गयी थी।


सक्सेना ने शीर्ष अदालत को यह भी बताया कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के दोषी अधिकारियों के खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गयी है।

उपराज्यपाल ने एक हलफनामे में प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को सूचित किया कि 16 फरवरी से 26 फरवरी के बीच पेड़ों की कटाई के बाद ही उन्हें इस बारे में पता चला। उन्होंने कहा कि यह सूचना 10 जून को डीडीए उपाध्यक्ष के एक पत्र के माध्यम से दी गई।

हलफनामे में कहा गया है, ‘‘यह एक चूक थी, लेकिन उनके (डीडीए अधिकारियों) द्वारा किया गया काम जनहित में था। हालांकि, डीडीए द्वारा दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय स्तर पर कार्रवाई शुरू की गई है।’’

हलफनामे के अनुसार, दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम (डीपीटीए) के प्रावधानों के साथ-साथ बीएनएसएस (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) के प्रावधानों के तहत 5 जुलाई, 2024 को डीडीए के दोषी अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी।

शीर्ष अदालत ने 16 अक्टूबर को उपराज्यपाल को फरवरी में दिल्ली रिज क्षेत्र में लगभग 1,100 पेड़ों को कथित रूप से अवैध रूप से काटने के लिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का विवरण देते हुए एक व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।

उपराज्यपाल डीडीए के भी अध्यक्ष हैं। उपराज्यपाल ने स्वीकार किया कि फरवरी 2024 में उन्होंने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल आयुर्विज्ञान संस्थान (सीएपीएफआईएमएस) तक पहुंच को आसान बनाने के लिए सड़क चौड़ीकरण परियोजना के स्थल का दौरा किया था, जब उन्हें बताया गया था कि पेड़ों को काटने के लिए ‘‘सक्षम प्राधिकारी’’ से अनुमति का इंतजार किया जा रहा है।

उपराज्यपाल ने कहा, ‘‘यात्रा की तिथि पर उक्त स्थल पर मौजूद किसी भी व्यक्ति ने पेड़ों की कटाई के लिए इस अदालत की अनुमति प्राप्त करने की कानूनी आवश्यकता के बारे में उन्हें नहीं बताया।’’

सक्सेना ने दावा किया कि उन्होंने इस तरह की मंजूरी के संवाद में तेजी लाने के लिए कहा था, लेकिन उन्हें यह एहसास नहीं था कि अदालत की अनुमति भी आवश्यक थी।

शीर्ष अदालत ने 16 अक्टूबर को कहा था कि वह चाहती है कि उपराज्यपाल दोषी अधिकारियों की जवाबदेही तय करें और अगली सुनवाई की तारीख से पहले किसी न्यायिक निर्देश का इंतजार किए बिना अनुशासनात्मक कार्यवाही और आपराधिक मुकदमा चलाने सहित कार्रवाई करें।

शीर्ष अदालत ने पेड़ों की कथित कटाई को लेकर डीडीए के उपाध्यक्ष सुभाषिश पांडा, अन्य अधिकारियों और कुछ निजी पक्षों के खिलाफ अवमानना ​​मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली के उपराज्यपाल से जानकारी मांगी।

डीडीए अधिकारियों और अन्य के खिलाफ अवमानना ​​मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा की जा रही है, जबकि दो अलग-अलग पीठ ने अवमानना ​​मामले से जुड़े लेकिन अलग-अलग पहलुओं पर सुनवाई की है।

भाषा आशीष अमित

अमित



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