पूर्व राजदूत पवन वर्मा |

Ankit
3 Min Read


नई दिल्ली, 23 नवंबर (भाषा) पूर्व राज्यसभा सांसद और राजदूत पवन वर्मा ने शनिवार को यहां कहा कि हिंदुत्व के कुछ ‘नए प्रवक्ता’ हैं जो इसे नहीं समझते और इसे वापस उस दिशा में ले जा रहे हैं, जहां बदलाव और प्रगति की कोई गुंजाइश नहीं है।


वर्मा, लेखक अक्षय मुकुल और पत्रकार राहुल देव के साथ साहित्य आजतक में ‘हिंदू सभ्यता: पहचान और प्रतीक के सवाल’ विषय पर बोल रहे थे।

भूटान में भारत के पूर्व राजदूत रहे वर्मा ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिंदुत्व के प्रवक्ता सनातन धर्म को उस दिशा में ले जा रहे हैं, जहां बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है। जहां महिलाओं के साथ बुरा व्यवहार किया जाता है। बदलाव के बजाय, वे इसे ऐसी जगह ले जा रहे हैं, जहां ऐसी गलतियों, ऐसे अन्याय और अनैतिकता को मान्यता दी जाती है।’’

उन्होंने कहा कि वे किसी को भी उनसे सवाल करने की इजाजत नहीं देते, क्योंकि नहीं तो उनकी खुद की आस्था पर सवाल उठ सकता है।

पूर्व राज्यसभा सांसद ने कहा कि इस बहस का एक भौगोलिक आयाम भी है क्योंकि उत्तर भारत में सनातन धर्म की एक अलग परिभाषा होगी जबकि दक्षिण में लोग ऐसे सनातन धर्म को स्वीकार नहीं करते जो पिछड़ी जातियों और दलितों के अधिकारों को मान्यता नहीं देता।

उन्होंने कहा, ‘‘ मेरा मानना ​​है कि दक्षिण भारत में सनातन धर्म की बहुत पुरानी विरासत है और अगर तमिलनाडु में इस पर बातचीत हो रही है तो वहां दलितों और वंचितों के प्रति अन्याय को स्वीकार करने वाले सनातन धर्म के लिए कोई स्थान नहीं है।’’

71 वर्षीय वर्मा ने कहा, ‘‘वास्तव में हिंदू धर्म में हमेशा बदलाव और रूपांतरण की गुंजाइश रही है, जो सनातन की परिभाषा है।’’

वर्मा ने कहा कि आज के संदर्भ में हमारी संस्कृति और हमारे धर्म को समझना महत्वपूर्ण है, जिसमें सभी को स्वीकार करने की क्षमता है।

तीन दिवसीय साहित्य आजतक में लेखक नीलेश मिसरा, गीतकार प्रसून जोशी, गायिका शिल्पा राव, लेखिका शैलजा पाठक, गायक बादशाह, रेखा और विशाल भारद्वाज जैसी हस्तियों द्वारा सिनेमा, इतिहास, राजनीति, संगीत और साहित्य सहित कई विषयों पर सत्र आयोजित किए गए।

यह कार्यक्रम 24 नवंबर को संपन्न होगा।

भाषा नरेश नरेश पवनेश

पवनेश



Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *