पूर्व न्यायाधीश गनेडीवाला को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के बराबर पेंशन मिलेगी

Ankit
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मुंबई 13 मार्च (भाषा) बम्बई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश पुष्पा गनेडीवाला उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के बराबर पेंशन पाने की हकदार हैं।


पुष्पा गनेडीवाला को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पोक्सो) मामलों में कई विवादास्पद फैसलों को लेकर आलोचना का सामना करना पड़ा था।

गनेडीवाला को 12 फरवरी, 2022 को उनके अतिरिक्त न्यायाधीश के पद पर कार्यकाल की समाप्ति पर जिला सत्र न्यायाधीश के रूप में पदावनत कर दिया गया था। पोक्सो अधिनियम के तहत ‘‘यौन हमले’’ की उनकी व्याख्या को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था।

गनेडीवाला अपने कई उन फैसलों के लिए सवालों के घेरे में आ गई थीी, जिनमें कहा गया था कि पोक्सो अधिनियम के तहत यदि ‘‘यौन संबंध बनाने के इरादे से त्वचा से त्वचा का संपर्क’’ होता है तो उसे यौन हमला माना जाएगा और ‘‘नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना और किसी लड़के की पतलून की जिप खोलना’’ इस अधिनियम के तहत ‘‘यौन हमला’’ नहीं है।

जुलाई 2023 में, गनेडीवाला ने उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की, जिसमें उच्च न्यायालय (मूल पक्ष) के रजिस्ट्रार द्वारा दो नवंबर, 2022 को जारी एक सूचना पत्र को चुनौती दी गई, जिसमें घोषित किया गया था कि वह उच्च न्यायालय की एक न्यायाधीश के रूप में पेंशन और अन्य लाभों के लिए पात्र/हकदार नहीं हैं।

गनेडीवाला ने उच्च न्यायालय की अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पेंशन दिये जाने का अनुरोध करते हुए दलील दी थी कि ऐसा इस तथ्य पर ध्यान दिए बिना होना चाहिए कि वह स्वेच्छा से सेवानिवृत्त हुई हैं या एक निश्चित आयु प्राप्त करने के बाद सेवानिवृत्त हुई हैं।

मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को नवंबर 2022 के संचार को रद्द कर दिया और कहा कि गनेडीवाला फरवरी 2022 से उच्च न्यायालय की अतिरिक्त न्यायाधीश के बराबर पेंशन पाने की हकदार हैं।

अदालत ने आदेश दिया, ‘‘हम रजिस्ट्री को निर्देश देते हैं कि आज से दो महीने के भीतर फरवरी 2022 से छह प्रतिशत ब्याज के साथ उनकी पेंशन तय की जाए।’’

जुलाई 2023 में अपनी याचिका दायर करते समय गनेडीवाला ने कहा था, ‘‘मुझे कोई पेंशन नहीं मिल रही है। पेंशन देने से इनकार करने में प्रतिवादियों का पूरा दृष्टिकोण मनमाना है।’’

उन्हें 2019 में बम्बई उच्च न्यायालय की अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।

गनेडीवाला ने अपनी याचिका में कहा कि जनवरी 2021 में शीर्ष अदालत ने स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए उनके आवेदन को मंजूरी दे दी थी। बाद में सिफारिश वापस ले ली गई।

याचिका में दावा किया गया कि याचिकाकर्ता (गनेडीवाला) ने करीब तीन साल तक उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में काम किया।

उन्होंने उच्च न्यायालय रजिस्ट्री में पेंशन के लिए आवेदन किया था। हालांकि, एक निर्णय लिया गया कि चूंकि गनेडीवाला उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त नहीं हुई थीं, इसलिए वह समान रैंक की पेंशन की हकदार नहीं थीं।

भाषा

देवेंद्र मनीषा

मनीषा



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