मुंबई, तीन फरवरी (भाषा) बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी की हिरासत में मौत के लिए मजिस्ट्रेट द्वारा आरोपित किए गए ठाणे के दो पुलिसकर्मियों ने सोमवार को इस दावे से इनकार किया कि आरोपी की हत्या ‘‘फर्जी मुठभेड़’’ में की गई थी।
दोनों ने एक खंडपीठ के समक्ष दायर अपने अंतरिम आवेदन में यौन उत्पीड़न के आरोपी अक्षय शिंदे के पिता के इस दावे को खारिज कर दिया कि पिछले साल 23 सितंबर को पड़ोसी ठाणे जिले में एक ‘‘फर्जी” मुठभेड़ में उसकी हत्या कर दी गई थी।
पुलिसकर्मियों ने कहा कि उनका पक्ष सुने बिना इस मामले में कोई भी आदेश पारित करने से “समाज में उनकी प्रतिष्ठा को भारी नुकसान होगा।”
वरिष्ठ निरीक्षक संजय शिंदे (ठाणे अपराध शाखा) और सहायक निरीक्षक नीलेश मोरे ने यह कदम मजिस्ट्रेट जांच के कुछ दिनों बाद उठाया है। मजिस्ट्रेट जांच में अक्षय शिंदे (24) की हिरासत में मौत के लिए संजय शिंदे और मोरे समेत पांच पुलिसकर्मियों को जिम्मेदार ठहराया गया था।
अक्षय शिंदे पर ठाणे जिले के बदलापुर शहर में एक स्कूल के शौचालय के अंदर दो नाबालिग लड़कियों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप था। वह स्कूल में ‘अटेंडेंट’ था।
जांच में पुलिसकर्मियों के इस दावे पर संदेह जताया गया कि जब आरोपी को नवी मुंबई की तलोजा जेल से पूछताछ के लिए गाड़ी से ले जाया जा रहा था, तो उन्होंने आत्मरक्षा गोली चलाई थी। पुलिस ने उस समय दावा किया था कि अक्षय शिंदे ने गाड़ी में मौजूद एक पुलिसकर्मी की बंदूक छीनकर गोली चलाई और जवाबी गोलीबारी में मारा गया।
मजिस्ट्रेट जांच की रिपोर्ट उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गई, जहां अक्षय शिंदे के पिता अन्ना शिंदे ने एक याचिका दायर की थी।अन्ना शिंदे ने याचिका में आरोप लगाया गया था कि उनके बेटे की ठाणे पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी थी।
उच्च न्यायालय छह फरवरी को इस मामले पर अगली सुनवाई करेगा।
भाषा जोहेब राजकुमार
राजकुमार