पुराने चिकित्सा उपकरणों के आयात की अनुमति देने पर उद्योग को ऐतराज

Ankit
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नयी दिल्ली, 25 अक्टूबर (भाषा) चिकित्सा उपकरण उद्योग संघों ने शुक्रवार को नये जैसे दिखने वाले पुराने चिकित्सा उपकरणों के आयात की अनुमति देने के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के फैसले पर विरोध जताया।

उद्योग ने कहा कि यह फैसला स्थानीय विनिर्माण में निवेश करने वाली कंपनियों के हितों के खिलाफ है।

उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) और भारतीय चिकित्सा उपकरण संघ (एआईएमईडी), मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इमेजिंग, थेरेपी एंड रेडियोलॉजी डिवाइसेज एसोसिएशन (एमआईटीआरए), एसोसिएशन ऑफ डायग्नोस्टिक मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इंडिया (एडीएमआई) और चिकित्सा प्रौद्योगिकी उद्योग के अन्य प्रमुख हितधारकों ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हस्तक्षेप का आग्रह किया है।

एआईएमईडी के समन्वयक राजीव नाथ ने कहा, ”पर्यावरण मंत्रालय का कार्यालय ज्ञापन (ओएम) राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति 2023 को कमजोर करता है, जिसे पिछले साल प्रधानमंत्री ने पेश किया था। यह ज्ञापन इस्तेमाल किए जा चुके चिकित्सा उपकरणों के आयात की अनुमति देता है। इससे ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत भारतीय और विदेशी निर्माताओं के निवेश को लेकर जोखिम पैदा हो गया है।”

उन्होंने कहा कि निवेशक केवल तभी विनिर्माण प्रौद्योगिकी भारत में लाएंगे, जब नीतिगत माहौल स्थिर और राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति 2023 के अनुरूप होगा।

नाथ ने कहा, ”उच्च-स्तरीय चिकित्सा उपकरणों के लिए हाल ही में शुरू की गई कई परियोजनाओं के साथ अब रोगी की सुरक्षा भी जोखिम में है।”

उन्होंने कहा कि भारत को ई-कचरा भरने की जगह माना जा रहा है और पुराने तथा अप्रचलित चिकित्सा उपकरण देश में फिर से बेचे जा रहे हैं। इससे घरेलू उद्योग को बहुत नुकसान पहुंच रहा है, जो अभी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है।

इनवॉल्यूशन हेल्थकेयर के सह-संस्थापक अतुल शर्मा ने कहा कि सरकार को घरेलू चिकित्सा उपकरण निर्माताओं को प्राथमिकता देना चाहिए।

सिकोया हेल्थकेयर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी और प्रबंध निदेशक विश्वनाथन संथानगोपालन ने कहा कि पुराने चिकित्सा उपकरण आयात करने से मरीजों को कोई लागत लाभ नहीं मिलेगा।

भाषा पाण्डेय रमण प्रेम

प्रेम



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