(राधा रमण मिश्रा)
नयी दिल्ली, चार फरवरी (भाषा) राजस्व सचिव तुहिन कांत पांडेय ने कहा है कि नई कर व्यवस्था में 12 लाख रुपये तक की छूट से पुरानी कर व्यवस्था के खुद ही एक-दो साल में समाप्त हो जाने की संभावना है।
पांडेय ने यह भी कहा कि कर का दायरा बढ़ाने के लिए कृत्रिम मेधा (एआई), आंकड़ा विश्लेषण जैसी प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है।
वित्त एवं राजस्व सचिव पांडेय ने पीटीआई-भाषा के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘हम नई कर व्यवस्था लाए हैं। उसका मकसद ही यही है कि आप छूट के बारे में हर समय सोचने के बजाय अपनी जरूरत के हिसाब से निवेश करें।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या पुरानी कर व्यवस्था को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाएगा, उन्होंने कहा, ‘‘बजट में पुरानी कर व्यवस्था के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। इसमें छूट है, कर की दर और स्लैब अलग-अलग हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मेरा मानना है कि एक-दो साल में पुरानी कर व्यवस्था अपने आप ही समाप्त हो जाएगी। इतनी बड़ी छूट दी है तो 2025-26 में प्राय: सभी करदाता नई व्यवस्था में आ जाएंगे।’’
पांडेय ने कहा, ‘‘अगर आपको 12 लाख रुपये की आय पर कर छूट चाहिए तो आप कहां जाएंगे? सब लोग नई व्यवस्था में आएंगे तो जल्द ही पुरानी कर व्यवस्था समाप्त हो जाएगी। वैसे भी नई कर व्यवस्था ‘डिफॉल्ट’ है। यानी अगर आपने पुरानी को नहीं चुना है, तो स्वयं नई कर व्यवस्था में आ जाएंगे।’’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को अपना आठवां बजट पेश करते हुए व्यक्तिगत आयकर सीमा में वृद्धि की घोषणा की थी। अब करदाताओं को नई कर व्यवस्था के तहत 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं देना होगा जबकि पहले यह सीमा सात लाख रुपये थी। छूट सीमा में पांच लाख रुपये की बढ़ोतरी अबतक की सबसे बड़ी वृद्धि है।
दीर्घकालीन बचत प्रभावित होने से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘लोग अब भी बचत और निवेश करेंगे। कर नीति के जरिये व्यवहार में बदलाव का एक रुख रहा है… लेकिन लोग अब इतने परिपक्व हो गये हैं कि वे निर्णय कर सकते हैं कि उन्हें कितनी खपत करनी है या कितनी बचत या कितना निवेश करना है।’’
यह पूछे जाने पर कि प्रस्तावित नये आयकर अधिनियम में क्या खास होगा, उन्होंने कहा, ‘‘ नया कानून छोटा व सरल होगा। उसे समझने में आसानी होगी। पुराने पड़ चुके प्रावधानों को हटाया गया है। चीजों को एक जगह लाया गया है। इससे कानूनी विवाद कम होगा।’’
सीतारमण ने शनिवार को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अपने बजट भाषण में कहा था कि सरकार आने वाले सप्ताह में संसद में नया आयकर विधेयक पेश करेगी, जो 1961 के आयकर कानून की जगह लेगा।
कर आधार बढ़ाने के उपायों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘ अन्य बातों के अलावा, कर आधार बढ़ाने के लिए एआई, आंकड़ा विश्लेषण का भी उपयोग किया जा रहा है।’’
राजस्व सचिव ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि सामान्य तौर पर राजस्व (आयकर) में 20 प्रतिशत के आसपास वृद्धि होती है। इस साल हमने 14 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य रखा है। कर छूट की वजह से राजस्व में एक लाख करोड़ रुपये की कमी आने को ध्यान में रखते ही वृद्धि का यह लक्ष्य रखा गया है।
यह पूछे जाने पर कि क्या आर्थिक वृद्धि दर कम होने से राजस्व संग्रह पर असर होगा, पांडेय ने कहा, ‘‘बाजार मूल्य पर वृद्धि दर 10.1 प्रतिशत रखी गई है। पहले इसके 10.4 से 10.5 प्रतिशत रहने की संभावना थी। पिछली तिमाही के अग्रिम अनुमान में यह 9.7 प्रतिशत थी। इसीलिए हमने 10.1 प्रतिशत का अनुमान रखा है। अगर वृद्धि दर कम होती है, तो राजस्व संग्रह पर असर होगा।’’
उल्लेखनीय है कि रेटिंग एजेंसी फिच ने आगाह किया है कि धीमी आर्थिक वृद्धि के कारण राजस्व संग्रह में कुछ गिरावट आ सकती है और ऐसे में खर्च करते समय अतिरिक्त संयम की जरूरत होगी।
चालू वित्त वर्ष 2024-25 में शुद्ध कर प्राप्तियां 25.57 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जिसके अगले वित्त वर्ष 2025-26 में 28.37 लाख करोड़ रुपये रहने की संभावना है।
भाषा रमण अजय
अजय