पीलीभीत बाघ अभयारण्य में 25 अक्टूबर से शुरू होगी बाघों की गणना

Ankit
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पीलीभीत, 23 अक्टूबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के पीलीभीत बाघ अभयारण्य (पीटीआर) के जंगलों में बाघों की गणना का काम 25 अक्टूबर को शुरू होगा।


पीटीआर के उप निदेशक मनीष सिंह ने बुधवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘बाघों की गिनती दो चरणों में होगी। पहला चरण 25 अक्टूबर को शुरू होगा और एक महीने तक जारी रहेगा। बाघों की आबादी का सही आकलन करने के लिए हम 201 चयनित स्थानों पर 402 कैमरे लगाएंगे।’’

आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार पीटीआर 730.24 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है जिसमें लगभग 602.79 वर्ग किलोमीटर कोर क्षेत्र और लगभग 127.45 वर्ग किलोमीटर बफर जोन शामिल है।

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

सिंह ने कहा, ‘‘इस बार की गणना में बाघों की आबादी में वृद्धि की प्रबल संभावना है। हाल ही में कई मादा बाघों को शावकों के साथ देखा गया है और इन शावकों की फुटेज कैमरों में कैद हुई है, जिनमें से कुछ संबंधित वीडियो वायरल भी हुए हैं।’’

उन्होंने बताया कि नर शावक आमतौर पर लगभग 18 माह की उम्र में अपनी माताओं से अलग हो जाते हैं, जबकि मादा शावक लगभग 22 माह की उम्र में ऐसा करती हैं, जो बाघों की आबादी में संभावित वृद्धि का संकेत है।

उप निदेशक ने बताया कि बाघों की सही गणना करना विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती है। बाघ की मौजूदगी के संभावित स्थानों पर एक दूसरे के आमने-सामने दो पेड़ों पर विशेष सेंसर से लैस दो कैमरे लगाए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि ये कैमरे वन्यजीवों की आवाजाही की तस्वीरें लेते हैं, फिर बाघों की आबादी का आकलन और अनुमान लगाने के लिए शारीरिक विशेषताओं और धारियों के आधार पर उनका विश्लेषण किया जाता है।

हाल ही में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से पता चला है कि पीटीआर में बाघों की संख्या 71 से अधिक है।

वन अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2014 में पीटीआर में बाघों की संख्या मात्र 24 थी।

भारत-नेपाल सीमा पर स्थित पीलीभीत बाघ अभयारण्य उत्तर प्रदेश के पीलीभीत और शाहजहांपुर जिलों में फैला हुआ है।

पीटीआर के अंदर कई नदियां बहती हैं। इनमें चूका, माला और खन्नौत नदियां शामिल हैं। पीटीआर भारत के 50 बाघ अभयारण्य परियोजनाओं में से एक है। यह कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है जिनमें बंगाल टाइगर, भारतीय तेंदुआ, दलदली हिरण और बंगाल फ्लोरिकन आदि शामिल हैं।

भाषा सं. सलीम

मनीषा खारी

खारी



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