नयी दिल्ली, छह अगस्त (भाषा) उत्तर प्रदेश के हाथरस की रहने वाली दो लड़कियां उनका पीछा कर रहे लोगों से बचने के लिए ट्रेन में चढ़कर अपने शहर से लगभग 140 किलोमीटर दूर इटावा पहुंच गईं, जिनके लिए एक मालगाड़ी का गार्ड रक्षक बनकर उभरा।
रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि गार्ड (जिन्हें ट्रेन मैनेजर भी कहा जाता है) रविनीत आर्य तीन अगस्त की रात करीब 11 बजे इटावा स्टेशन पर अपनी ड्यूटी पर जा रहे थे तभी उन्होंने प्लेटफॉर्म की एक बेंच पर दो लड़कियों को परेशान हालत में बैठे देखा।
अधिकारी ने बताया, ‘‘आर्य ने उनसे पूछा कि क्या उन्हें किसी मदद की जरूरत है। उन्होंने बताया कि वे हाथरस की रहने वाली हैं और जब वे एक ट्यूशन सेंटर से लौट रही थीं, तभी कुछ असामाजिक तत्वों ने उनका पीछा करना शुरू कर दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वे बहुत डर गईं और हाथरस स्टेशन में घुस गईं और खुद को (असामाजिक तत्वों) से बचाने के लिए ट्रेन में चढ़ गईं और ट्रेन कुछ ही मिनटों में रवाना हो गई।’’
रेलवे सूत्रों के अनुसार, लड़कियों ने चलती ट्रेन से मोबाइल फोन के जरिए अपने परिजनों से संपर्क किया, लेकिन परिजनों को भी यह समझ में नहीं आया कि स्थिति को कैसे संभाला जाए और उन्हें कहां उतरने के लिए कहा जाए।
एक अन्य रेलवे अधिकारी ने कहा, ‘‘ट्रेन छोटे स्टेशनों पर रुकी लेकिन वे उतरी नहीं, क्योंकि कुछ यात्रियों को लड़कियों से सहानुभूति थी, जिन्होंने उन्हें इटावा में उतरने की सलाह दी, जो एक बड़ा स्टेशन है और जहां बेहतर यात्री सुविधाएं और सहायता उपलब्ध है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इटावा जंक्शन पर उतरने के बाद वे किसी से भी बात करने से डर रही थीं और प्लेटफार्म पर एक बेंच पर पूरी तरह से गुमसुम बैठीं थीं, तभी ट्रेन गार्ड ने उन्हें देख लिया।’’
अधिकारियों ने बताया कि गार्ड उन्हें स्टेशन अधीक्षक के पास ले गया, जिन्होंने रेलवे पुलिस और बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को उनके परिवारों से बात करने और उन्हें फिर से मिलाने में मदद करने के लिए शामिल किया।
भाषा योगेश शफीक
शफीक