पाकिस्तान में प्रधान न्यायाधीश का कार्यकाल तीन वर्ष तक सीमित किया गया

Ankit
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इस्लामाबाद, 21 अक्टूबर (भाषा) पाकिस्तान ने सोमवार को एक कानून पारित किया, जिसके तहत प्रधान न्यायाधीश का कार्यकाल तीन साल तक सीमित कर दिया गया और उच्चतम न्यायालय के तीन वरिष्ठतम न्यायाधीशों में से शीर्ष न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए विशेष आयोग का गठन किया जाएगा।


जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी के विरोध के बीच पाकिस्तान सरकार ने यह कदम उठाया।

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सोमवार को संविधान (26वां संशोधन) अधिनियम, 2024 को अपनी मंजूरी दे दी, जिसे संसद के दोनों सदनों – सीनेट और नेशनल असेंबली ने पहले ही पारित कर दिया था।

छब्बीसवें संविधान संशोधन विधेयक के कानून बन जाने के बाद सरकार अब न्यायमूर्ति मसूर अली शाह को वर्तमान प्रधान न्यायाधीश काजी फैज ईसा का स्थान लेने से रोक सकती है, जो 65 वर्ष के होने के बाद 25 अक्टूबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु 65 साल से बढ़ाकर 68 साल करने का मूल विचार संशोधन का हिस्सा नहीं था।

रविवार को सीनेट ने दो तिहाई बहुमत से इस विधेयक को हरी झंडी दे दी। फिर, रविवार देर रात शुरू हुए और सोमवार सुबह 5 बजे तक जारी रहे सत्र के दौरान नेशनल असेंबली ने भी विधेयक पारित कर दिया। सदन के 336 सदस्यों में से 225 ने विधेयक का समर्थन किया।

विपक्ष का आरोप है कि नए कानून का उद्देश्य स्वतंत्र न्यायपालिका की शक्तियों को कम करना है।

नेशनल असेंबली सचिवालय की अधिसूचना के अनुसार, संविधान (26वां संशोधन) अधिनियम, 2024 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल गई है।

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) और सुन्नी-इत्तेहाद काउंसिल (एसआईसी) ने नेशनल असेंबली में संशोधन का विरोध किया, लेकिन पीटीआई के समर्थन से अपनी सीट बरकरार रखने वाले छह निर्दलीय सदस्यों ने विधेयक का समर्थन किया।

सरकार को संशोधन पारित करने के लिए 224 वोटों की आवश्यकता थी। रविवार रात सीनेट में आवश्यक दो-तिहाई बहुमत के साथ संशोधन को मंजूरी देने के लिए इसे चार के मुकाबले 65 मत मिले। सत्तारूढ़ गठबंधन को संसद के ऊपरी सदन में 64 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता थी।

इस विधेयक में कई संवैधानिक संशोधन शामिल हैं, जिनमें उच्चतम न्यायालय के तीन वरिष्ठतम न्यायाधीशों में से एक को प्रधान न्यायाधीश नियुक्त करने के लिए विशेष आयोग का गठन भी शामिल है। इसे रविवार को सत्तारूढ़ गठबंधन सहयोगियों के बीच आम सहमति से कैबिनेट द्वारा अनुमोदित किया गया था।

भाषा नेत्रपाल अविनाश

अविनाश



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