(तस्वीर के साथ)
श्योपुर, पांच फरवरी (भाषा) मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में कुनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में बुधवार को पांच और अफ्रीकी चीतों को बाड़ों से जंगल में छोड़ा गया। इसके साथ ही केएनपी में कुल 26 चीतों में से सात अब जंगल में हैं।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दोपहर में मादा चीता धीरा और आशा को आशा के तीन शावकों के साथ जंगल में छोड़ा।
उन्होंने अधिकारियों के साथ भारत में 1952 में विलुप्त हो चुके सबसे तेज गति से दौड़ने वाले इस जानवर को फिर से लाने के लिए सितंबर 2022 में शुरू की गई परियोजना चीता की भी समीक्षा की।
मुख्यमंत्री ने कहा,‘‘यह देखकर बेहद खुशी हो रही है कि एशिया से विलुप्त हो चुका चीता मध्यप्रदेश में अपना कुनबा बढ़ा रहा है।’’
मंगलवार को मुख्यमंत्री ने खबर साझा की थी कि चीता वीरा ने दो शावकों को जन्म दिया है। केएनपी में अब 26 चीते हैं – 14 शावक और 12 वयस्क। इनमें से सात चीते – चार वयस्क और तीन शावक – अब जंगल में हैं, जबकि 19 – आठ वयस्क और 11 शावक – बाड़ों में ही हैं।
पिछले साल दिसंबर में वायु और अग्नि चीतों को उनके बाड़ों से जंगल में छोड़ा गया था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 17 सितंबर, 2022 को आठ नामीबियाई चीतों – पांच मादा और तीन नर – को केएनपी में बाड़ों में छोड़ा था, जो शिकार और आवास के नुकसान के कारण भारत में जानवर के विलुप्त होने के सात दशक बाद, चीतों के दुनिया के पहले अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण का हिस्सा था।
अब तक भारत लाए गए 20 चीतों में से कुछ – सितंबर 2022 में नामीबिया से आठ और फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 – को शुरू में जंगल में छोड़ा गया था, लेकिन सेप्टीसीमिया (बैक्टीरिया द्वारा रक्त विषाक्तता) के कारण तीन चीतों की मौत के बाद अगस्त 2023 तक उन्हें वापस बाड़ों में लाया गया।
बाद में अगस्त, 2024 में, अकेला स्वतंत्र रूप से घूमने वाला चीता पवन मृत पाया गया। 11 मार्च, 2023 को जंगल में छोड़े जाने के बाद नर पवन को अप्रैल में वापस बाड़े में लाया गया और उसी साल जुलाई में फिर से जंगल में छोड़ दिया गया।
भाषा सं दिमो
राजकुमार
राजकुमार