देहरादून, तीन मार्च (भाषा) ‘पहाड़-मैदान’ को लेकर उपजे विवाद के बीच उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) ने सोमवार को कहा कि वह इसे लेकर एक नयी लड़ाई छेड़ेगा।
उक्रांद जहां एक ओर पार्टी से जुड़े पूर्व सैनिक, वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ पार्टी के शीर्ष नेता काशी सिंह ऐरी ने कहा कि उन्हें महसूस हो रहा है कि ‘पहाड़-मैदान’ की मानसिकता वाले लोगों को यहां से बाहर करने और राजनीति में आने से रोकने के लिए एक और लड़ाई लड़नी होगी।
ऐरी ने कहा, ”पुतले फूंकने से कुछ नहीं होगा, एक बड़ी लड़ाई लड़नी होगी।”
हालांकि, इस आंदोलन के स्वरूप के बारे में पूछे जाने पर ऐरी ने कहा कि अभी इसकी रणनीति तय की जाएगी।
ऐरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि राज्य को बने 25 साल होने जा रहे हैं और यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब भी जनप्रतिनिधि और मंत्री की मानसिकता ‘पहाड़-मैदान’ ही बनी हुई है।
उन्होंने कहा, ” यह राज्य पहाड़ और मैदान के लिए नहीं बनाया गया था। सब जगह का विकास हो, इसलिए यह राज्य बनाया गया था।”
अग्रवाल ने शुक्रवार को विधानसभा में विपक्ष की एक टिप्पणी पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि उन्हें ‘पहाड़ी’ और ‘देसी’ शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिये। उन्होंने कहा था कि लोग उत्तराखंड को राज्य का दर्जा दिलाने के लिए यह सब देखने के लिए नहीं लड़े हैं। इसके बाद मंत्री और विपक्षी सदस्यों के बीच तीखी बहस हुई थी। इस दौरान उनके मुंह से एक अपशब्द भी निकल गया था।
ऐरी ने कहा कि जब पृथक उत्तराखंड के लिए आंदोलन चल रहा था, तो ये हमारे खिलाफ थे और राज्य बनने के पक्ष में ही नहीं थे।
उक्रांद नेता ने कहा, ”हालांकि, उत्तराखंड की जनता ने राज्य बनवा दिया तो अब ये परेशान हैं और इनकी मानसिकता अब भी वही बनी हुई है।”
अग्रवाल के बयान को लेकर प्रदेश में सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक उनके खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है। उक्रांद की अगुवाई में विभिन्न संगठनों ने रविवार को यहां दिलाराम चौक से हाथी बड़कला तक प्रदर्शन किया और अग्रवाल को राज्य मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने की मांग की। इस प्रदर्शन में उक्रांद से जुड़े पूर्व सैनिकों ने भी हिस्सा लिया।
अग्रवाल अपने बयान पर खेद जता चुके हैं और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश नेतृत्व ने भी उन्हें तलब कर उन्हें सार्वजनिक जीवन में संयम बरतने और उचित शब्दावली का प्रयोग करने की कड़ी हिदायत दी है।
भाषा
दीप्ति, रवि कांत रवि कांत