पहले केंद्र को राज्य का दर्जा बहाल करने का मौका दिया जाना चाहिए: उमर अब्दुल्ला |

Ankit
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(तस्वीरों के साथ)


श्रीनगर, दो जनवरी (भाषा) जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘‘पहला मौका’’ केंद्र सरकार को इस केंद्र शासित प्रदेश का राज्य का दर्जा बहाल करने के अपने वादे को पूरा करने के लिए दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर अदालत जाने का मतलब ‘‘लड़ाई’’ होगा और यह ‘‘अंतिम विकल्प’’ होना चाहिए।

अक्टूबर में पदभार ग्रहण करने के बाद यहां मीडियाकर्मियों के साथ अपनी पहली बैठक के दौरान अब्दुल्ला ने उन सुझावों को भी खारिज कर दिया कि उनकी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल होने का दबाव है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए केंद्र द्वारा किए गए वादे जल्द से जल्द पूरे किए जाएंगे।

जब उनसे पूछा गया कि उनकी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे की बहाली के लिए अदालतों का रुख करने के बजाय केंद्र का रुख क्यों किया, तो अब्दुल्ला ने कहा कि इस मामले में कानूनी लड़ाई अंतिम विकल्प होनी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘अदालत जाना लड़ाई (करना) होगा। लड़ाई कभी भी पहला विकल्प नहीं होनी चाहिए, यह अंतिम विकल्प होना चाहिए। अगर उच्चतम न्यायालय ने राज्य के दर्जे की बहाली के बारे में बात नहीं कही होती, अगर प्रधानमंत्री और (केंद्रीय) गृह मंत्री ने इस बारे में बात नहीं की होती, तो हम अदालतों में जा सकते थे। उन्होंने वादे किए हैं और हमें पहले उन्हें एक मौका देना चाहिए।’’

अब्दुल्ला ने कहा कि पिछले साल दिसंबर में उच्चतम न्यायालय ने भी अपने फैसले में कहा था कि राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘एक साल बीत चुका है और हमें लगता है कि एक साल काफी होना चाहिए।’’

उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के रूप में क्षेत्र की वर्तमान स्थिति को एक अस्थायी व्यवस्था के रूप में देखा जाना चाहिए और राज्य का दर्जा बहाल करना उनकी सरकार के लिए ‘‘सबसे बड़ी चुनौती’’ है।

पांच साल पहले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के साथ ‘‘कश्मीर मुद्दे’’ के समाधान संबंधी भाजपा के विमर्श का जवाब देते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि पूर्ववर्ती राज्य का एक हिस्सा अब भी पाकिस्तान के कब्जे में है।

उन्होंने कहा, ‘‘जब भाजपा कहती है कि कश्मीर मुद्दा आखिरकार सुलझ गया है, तो क्या हमें यह मान लेना चाहिए कि सीमा पार का हिस्सा भी सुलझ गया है? लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हुआ है।’’

वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या उनका मानना ​​है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से कश्मीर मुद्दा सुलझ गया है, जैसा कि भाजपा कहती रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए कश्मीर मुद्दा बना हुआ है, चाहे नियंत्रण रेखा के इस तरफ हो या उस तरफ, हम इस पर बहस कर सकते हैं लेकिन मुद्दा हल नहीं हुआ है। हम चाहते हैं कि इसका समाधान हो।’’

मुख्यमंत्री ने उन अफवाहों को खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया था कि भाजपा नीत राजग की ओर से नेशनल कॉन्फ्रेंस की विचारधारा को बदलने और गठबंधन में शामिल होने के लिए दबाव डाला जा रहा है।

अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी), केंद्रीय गृह मंत्री (अमित शाह) या राजभवन की ओर से हम पर अपनी विचारधारा बदलने का कोई दबाव नहीं है।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से आश्वासन मिला है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार स्थिर रहेगी और उन्हें वैसा ही सहयोग मिलेगा जैसा उपराज्यपाल को दिया गया है।

अब्दुल्ला ने यहां शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा, “उन्होंने कहा है कि वे लोगों के जनादेश का सम्मान करेंगे। जो लोग यह अफवाह फैला रहे हैं कि मैं अब राजग में शामिल हो जाऊंगा और मैंने अपनी विचारधारा बदल ली है, मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता। मैं यहां काम करने आया हूं और काम करूंगा।’’

उन्होंने अपनी दो महीने पुरानी सरकार के समक्ष मौजूद विभिन्न मुद्दों से जुड़े प्रश्नों के उत्तर दिए। केंद्र शासित प्रदेश की सरकार को उपराज्यपाल के साथ मिलकर काम करना होता है।

अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में शासन का ‘हाइब्रिड मॉडल’ किसी के लिए भी फायदेमंद नहीं है और जब सत्ता का एक ही केंद्र होता है तभी तंत्र बेहतर तरीके से काम करता है।

शासन के ‘हाइब्रिड मॉडल’ से उनका आशय केंद्र शासित प्रदेश होने के नाते जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल के पास शासन से जुड़ी अनेक संवैधानिक शक्तियां होने से है।

अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में शासन के ‘हाइब्रिड मॉडल’ के बारे में पूछे जाने पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘जाहिर है कि सत्ता के दोहरे केंद्र किसी के लिए फायदेमंद नहीं हैं। अगर शासन के लिए सत्ता के दोहरे केंद्र प्रभावी होते तो ये आपको अन्य जगहों पर भी दिखाई देते।’’

राजभवन के साथ कुछ मतभेदों को स्वीकार करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि ये मतभेद उतने गंभीर नहीं हैं, जितनी अटकलें लगाई जा रही हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘जब सत्ता का एक ही केंद्र होता है तो तंत्र बेहतर ढंग से काम करता है। कुछ मुद्दों पर मतभेद हैं लेकिन उस पैमाने पर नहीं जितनी अटकलों थीं। ऐसी रिपोर्ट कोरी कल्पना मात्र है।’’

अब्दुल्ला ने कहा, “हमें सत्ता में आए दो महीने से थोड़ा अधिक समय हो गया है। हमें यह समझने में समय लगा कि केंद्र शासित प्रदेश सरकार कैसे काम करती है। हम पहले भी सरकार चला चुके हैं, लेकिन उस स्वरूप और वर्तमान स्वरूप में बहुत अंतर है।”

केंद्र सरकार ने पांच अगस्त, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करके जम्मू-कश्मीर राज्य को विभाजित करके दो केंद्र शासित प्रदेश बनाए थे। जम्मू-कश्मीर में सीमित शक्तियों वाली विधानसभा है, जबकि दूसरे केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में विधानसभा नहीं है।

दिसंबर 2023 में, उच्चतम न्यायालय ने विशेष दर्जा रद्द करने और दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा था, लेकिन केंद्र सरकार से कहा था कि वह जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करे।

अपनी सरकार के शुरुआती अनुभवों को बताते हुए अब्दुल्ला ने शुरुआत को ‘सुखद’ बताया तथा कहा कि उन्होंने चुनावी वादों को पूरा करने के लिए प्रक्रियाएं शुरू कर दी हैं।

उन्होंने कहा कि उनका चुनाव घोषणापत्र कुछ सप्ताह या महीनों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे पांच साल के कार्यकाल के लिए है।

अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘हम अपने चुनावी वादों को लेकर प्रतिबद्ध हैं। हमने कुछ वादों को लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और अन्य वादों के लिए हमें व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है। मुझे उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर का केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है।’’

नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा सैयद रूहुल्ला मेहदी के गुपकर में उनके आवास के पास आरक्षण को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन में शामिल होने पर अब्दुल्ला ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस एक लोकतांत्रिक पार्टी है, जहां हर सदस्य को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है।

उन्होंने हाल के समय में आए सकारात्मक बदलावों पर प्रकाश डालते हुए कहा, ‘‘हालांकि हम पर एक पारिवारिक पार्टी होने का आरोप लगाया गया है, लेकिन हम एक लोकतांत्रिक पार्टी हैं और हर किसी को अपनी राय रखने का अधिकार है।’’

आरक्षण के मुद्दे पर अब्दुल्ला ने कहा कि इस मामले को सुलझाने के लिए एक कैबिनेट उप-समिति गठित की गई है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के जन्मदिन और 13 जुलाई को शहीद दिवस के लिए सार्वजनिक अवकाश बहाल न करने संबंधी राजभवन के फैसले के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में मुख्यमंत्री ने दोहराया कि ऐसे फैसले उन लोगों की विरासत को मिटा नहीं सकते जिन्होंने क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण बलिदान दिए हैं।

भाषा

देवेंद्र पवनेश

पवनेश



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