(एलिजाबेथ बेली, बर्मिंघम सिटी यूनिवर्सिटी)
बर्मिंघम (ब्रिटेन), 27 जनवरी (द कन्वरसेशन) दुनियाभर में महिलाएं कम बच्चों को जन्म दे रही हैं। जन्म दर में इस गिरावट के बावजूद, आज जुड़वां और एक साथ तीन बच्चों के जन्म के मामले पहले की तुलना में काफी बढ़े हैं।
इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है – और शोध से जुड़वां बच्चों की दरों में निरंतर वृद्धि का अनुमान जताया जा रहा है। पिछले वर्षों में, जुड़वां बच्चों के जन्म की दरें समग्र जन्म दरों के अनुरूप कम हुई हैं।
ऐसा होने के कई कारण हो सकते हैं। अधिक उम्र में गर्भधारण तथा प्रजनन उपचारों का अधिक उपयोग जैसे सामाजिक कारक इसके प्रमुख कारण प्रतीत होते हैं।
हालांकि एक समय में एक बच्चे की तुलना में कई बच्चे पैदा होना कम आम बात है, लेकिन कई बच्चे पैदा होना मानव प्रजनन का एक स्वाभाविक हिस्सा है। लगभग हर 60 गर्भधारण में से एक में कई बच्चे पैदा होते हैं – चाहे वह दो, तीन या छह बच्चे हों।
जुड़वां बच्चे तब होते हैं जब दो अलग-अलग अंडे एक ही समय में निषेचित (फर्टिलाइज) होते हैं, या जब एक निषेचित अंडा दो भागों में विभाजित हो जाता है। ‘हाइपर-ओव्यूलेशन’ के परिणामस्वरूप भी कई बच्चे पैदा हो सकते हैं – जब एक ही चक्र में एक से अधिक अंडे निकलते हैं।
हालांकि बहुत दुर्लभ ‘हाइपर-ओव्यूलेशन’ यानी ‘हाइपर-ऑर्डर मल्टीपल प्रेगनेंसीज़’ के कारण तीन शिशुओं से लेकर नौ शिशुओं तक का जन्म हो सकता है।
वर्ष 2023 में इंग्लैंड एंड वेल्स से प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि 20 वर्ष से कम आयु की 2,000 में से एक महिला के एक समय में एक से ज्यादा बच्चे पैदा होते हैं जबकि 35 से 39 वर्ष की आयु की महिलाओं के बीच यह दर प्रति 57 में से एक है।
हाल ही में विशेष रूप से निम्न आय वाले देशों पर किए गए शोध में वर्ष 2050 से 2100 तक सभी देशों में एक से अधिक बच्चों के जन्म की दर में वृद्धि का अनुमान जताया गया है।
वर्ष 1940 से 1960 के दशक में ‘बेबी बूम’ के दौरान, इंग्लैंड एंड वेल्स में प्रति 1000 गर्भधारण में से एक से अधिक बच्चे पैदा होने के लगभग 12-13 मामले सामने आए। 1960 के दशक में महिलाएं औसतन 26 वर्ष की आयु में बच्चे पैदा कर रही थीं। यह एक ऐसी उम्र है जब एक से अधिक बच्चों के जन्म की संभावना कम होती है।
लेकिन 1970 और 1980 के दशक में, परिवार नियोजन (पुरुष और महिला नसबंदी समेत) के बढ़ते चलन और चुनौतीपूर्ण आर्थिक समय के कारण कम बच्चे पैदा हुए। इससे कम बच्चे पैदा करने का चलन बढ़ गया।
इस अवधि के दौरान ज़्यादातर महिलाएं 20 से 25 साल की उम्र के बीच में बच्चे पैदा कर रही थीं – औसतन 26 साल की उम्र में। इसका मतलब यह हुआ कि यू.के. में एक से ज़्यादा बच्चों को जन्म देने की दर भी अपने सबसे निचले स्तर, लगभग 1,000 गर्भधारणों में से दस पर आ गई।
1990 और 2000 के दशक में इंग्लैंड एंड वेल्स में बहु-जन्म दर में वृद्धि हुई। यह आंशिक रूप से महिलाओं के पहली बार मां बनने की औसत आयु में मामूली वृद्धि के कारण हुई, लेकिन मुख्य रूप से प्रजनन उपचारों के उपयोग में वृद्धि के कारण ऐसा हुआ।
फिर भी 2000 के दशक के मध्य से 2010 के दशक के मध्य तक, यू.के. में एकाधिक जन्म दर 1,000 गर्भधारण पर 16 से अधिक हो गई। इसकी वजह संभवतः अधिक उम्र में महिलाओं में प्रजनन दर में वृद्धि रही, लेकिन मुख्य कारण ‘वन एट ए टाइम’ अभियान के प्रभाव से पहले प्रजनन उपचारों का बढ़ता उपयोग रहा।
2010 के दशक में गिरावट के बाद, जब इस अभियान की सफलता डेटा में स्पष्ट हो गई, तो यूके में बहु-जन्म दर 1,000 गर्भधारण पर 14.4 हो गई। लेकिन पहले से कहीं ज़्यादा लोग अब प्रजनन उपचार की तलाश कर रहे हैं। 1991 में, यूके में प्रजनन क्लीनिकों ने लगभग 6,700 आईवीएफ प्रक्रियाएं कीं। इसकी तुलना में, 2021 में आईवीएफ तकनीक के इस्तेमाल के मामले बढ़कर 76,000 हो गए।
(द कन्वरसेशन) जोहेब नरेश
नरेश