मुंबई, 26 दिसंबर (भाषा) चालू वित्त वर्ष (2024-25) की पहली छमाही में बैंक धोखाधड़ी के मामले कई गुना बढ़कर 18,461 तक पहुंच गए और इनमें शामिल राशि आठ गुना से अधिक बढ़कर 21,367 करोड़ रुपये हो गई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी।
आरबीआई ने भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति पर 2023-24 की रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट पिछले वित्त वर्ष और चालू वित्त वर्ष में अब तक वाणिज्यिक बैंकों, सहकारी बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (एनबीएफसी) सहित बैंकिंग क्षेत्र के प्रदर्शन को पेश करती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल-सितंबर की छमाही में बैंकिंग धोखाधड़ी के कुल 18,461 मामले सामने आए जिनमें 21,367 करोड़ रुपये की राशि शामिल थी। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 2,623 करोड़ रुपये के 14,480 मामले सामने आए थे। इस तरह बैंकिंग धोखाधड़ी में शामिल राशि और मामले दोनों ही काफी तेजी से बढ़े हैं।
आरबीआई की रिपोर्ट कहती है कि धोखाधड़ी वित्तीय प्रणाली की प्रतिष्ठा के लिए जोखिम, परिचालन जोखिम, व्यावसायिक जोखिम और वित्तीय स्थिरता निहितार्थों के साथ ग्राहकों का भरोसा कम होने जैसी कई चुनौतियां पेश करती है।
वित्त वर्ष 2023-24 के बारे में आरबीआई ने कहा कि बैंकों की तरफ से दी गई सूचना के आधार पर धोखाधड़ी में शामिल राशि एक दशक में सबसे कम रही जबकि इसमें शामिल राशि का औसत मूल्य 16 वर्षों में सबसे कम था।
पिछले वित्त वर्ष में इंटरनेट और कार्ड के जरिये की गई धोखाधड़ी की हिस्सेदारी राशि के संदर्भ में संयुक्त रूप से 44.7 प्रतिशत रही जबकि मामलों की संख्या के संदर्भ में 85.3 प्रतिशत थी।
इसका एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि वित्त वर्ष 2023-24 में निजी क्षेत्र के बैंकों की तरफ से दर्ज मामले धोखाधड़ी के कुल मामलों का 67.1 प्रतिशत थे। हालांकि इनमें शामिल राशि के संदर्भ में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी इंटरनेट एवं कार्ड धोखाधडी में सबसे अधिक थी।
वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान विदेशी बैंकों और लघु वित्त बैंकों को छोड़कर सभी बैंक समूहों पर जुर्माना लगाए जाने के मामले बढ़े। इस दौरान कुल जुर्माना राशि दोगुनी से अधिक होकर 86.1 करोड़ रुपये हो गई, जिसमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंक सबसे आगे रहे।
सहकारी बैंकों पर लगाए गए जुर्माने की राशि घटी है लेकिन जुर्माना लगाने के मामलों में वृद्धि हुई।
आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, कई रिपोर्ट डिजिटल कर्ज वितरण क्षेत्र में बेईमान संस्थाओं की लगातार मौजूदगी का संकेत देती हैं जो विनियमित संस्थाओं के साथ जुड़ाव का झूठा दावा करती हैं।
इस तरह के दावों की पुष्टि में ग्राहकों की मदद के लिए रिजर्व बैंक विनियमित संस्थाओं द्वारा तैनात डिजिटल कर्ज वितरण ऐप (डीएलए) का एक सार्वजनिक संग्रह बनाने की प्रक्रिया में है। विनियमित संस्थाओं को नए डीएलए के जुड़ने या मौजूदा डीएलए के हटने पर इसे अद्यतन करना होगा।
आरबीआई ने कहा, ‘‘धोखाधड़ी से बैंकों को न केवल गंभीर वित्तीय और परिचालन जोखिम, बल्कि प्रतिष्ठा संबंधी जोखिम भी उठाना पड़ता है। इसलिए, बैंकों को इस तरह की गतिविधियों की निगरानी के लिए अपने ग्राहकों को जोड़ने और लेनदेन निगरानी प्रणाली को मजबूत करने की जरूरत है।’’
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