नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा) वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका हुमरा कुरैशी का हृदय गति रुकने और मधुमेह संबंधी जटिलताओं के कारण निधन हो गया।
हुमरा कुरैशी को सत्य, न्याय और हाशिए पर पड़े लोगों के लिए आवाज उठाने वाली पत्रकार के रूप में जाना जाता था।
उनकी बेटी सारा कुरैशी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि कुरैशी ने बृहस्पतिवार को गुरुग्राम के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह 70 वर्ष की थीं।
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में 25 अप्रैल 1956 को जन्मी हुमरा दिल्ली में लेखिका और स्तंभकार के रूप में काम करती थीं।
एक पत्रकार के रूप में कश्मीर की खबरें कवर करने के बाद, कुरैशी ने ‘कश्मीर: द अनटोल्ड स्टोरी’ नामक पुस्तक प्रकाशित की। इसके बाद उन्होंने ‘मीर’ नामक उपन्यास भी लिखा, जो घाटी की एक कहानी पर आधारित है।
कश्मीर के पत्रकार माजिद मकबूल ने कुरैशी को एक ऐसे पत्रकार के रूप में याद किया जिन्होंने कश्मीर के बारे में मानवीय ढंग से लिखा।
उन्होंने कहा, ‘कश्मीर के समाचार पत्र, लेखक और वरिष्ठ पत्रकार जो उन्हें अच्छी तरह से जानते थे, वे कश्मीर में उनकी भागीदारी के बारे में ईमानदारी से लिखें, इसे व्यक्तिगत ना बनाएं!’
स्तंभकार और लेखिका सुनेत्रा चौधरी ने कहा कि कुरैशी अपनी पुस्तकों से होने वाली सारी आय दान में दे देती थीं।
चौधरी ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका हुमरा कुरैशी अब नहीं रहीं। खुशवंत सिंह और कश्मीर पर उनकी किताबें तथा उनके स्तंभ अपनी गहराई के लिए जाने जाते हैं और मुझे हाल ही में पता चला कि वह अपनी किताबों से होने वाली सारी आय दान में दे देती थीं। वह वाकई बहुत जल्दी चली गईं।’
तमिल कवि और लोकसभा सदस्य थमिझाची थंगापांडियन ने लिखा, ‘हुमरा सिर्फ एक लेखिका ही नहीं थीं, वह सत्य की खोज करने वाली, मानवीय लचीलेपन की एक दयालु इतिहासकार और खामोश लोगों की वकालत करने वाली थीं। उनके शब्दों में अपार शक्ति थी, जो उन कहानियों को प्रकाश में लाती थीं जिन्हें साहस और शालीनता के साथ बताया जाना चाहिए था।’
भाषा योगेश माधव
माधव