पटना सिलसिलेवार विस्फोट मामले में चार दोषियों की मृत्युदंड की सजा 30 वर्ष के कारावास में बदली गई

Ankit
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पटना, 11 सितंबर (भाषा) पटना उच्च न्यायालय ने वर्ष 2013 के सिलसिलेवार विस्फोट मामले में चार दोषियों की मृत्युदंड की सजा को बुधवार को 30 वर्ष के कारावास में बदल दिया।


गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी की चुनावी रैली के दौरान गांधी मैदान में विस्फोट हुए थे।

न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार और जितेंद्र कुमार की खंडपीठ ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष अदालत द्वारा दो अन्य दोषियों को सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा।

अक्टूबर, 2021 में एनआईए की विशेष अदालत ने इस मामले में कुल नौ लोगों को दोषी ठहराया था, जिनमें से चार को मृत्युदंड, दो को आजीवन कारावास और दो को 10 साल की कैद और एक को सात साल की जेल की सजा और एक अन्य को सात साल की जेल की सजा सुनाई थी जबकि एक आरोपी को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था।

खंडपीठ ने 63 पृष्ठों के अपने आदेश में मृत्युदंड की सजा पाए आरोपियों इम्तियाज आलम, हैदर अली, नुमान अंसारी और मुजीबुल्लाह अंसारी के बारे में कहा कि इनके लिए 30 वर्ष का कारावास ‘पर्याप्त होगा और न्याय के उद्देश्यों को पूरा करेगा’।

आलम, अली और मुजीबुल्लाह अंसारी जुलाई, 2013 के बोधगया सीरियल बम धमाके मामले में भी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।

अदालत ने कहा कि चारों दोषी ‘युवा हैं, जिनका कोई स्थापित सीमा-पार संपर्क नहीं है’।

ये सभी झारखंड के रांची के रहने वाले हैं।

पीठ ने कहा, “अधीनस्थ न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत सामग्री अपर्याप्त थी…… यह निष्कर्ष निकालने के लिए कि वे सुधार से परे थे….. जब वे हिरासत में थे, तब ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया, जिससे यह संकेत मिले कि उन्होंने जांचकर्ताओं के लिए मुश्किलें पैदा की हों।”

पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में 27 अक्टूबर 2013 को मोदी ‘हुंकार रैली’ को संबोधित कर रहे थे कि तभी कम तीव्रता वाले सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। इसके बाद मची भगदड़ में कम से कम छह लोग मारे गए थे।

हालांकि किसी आतंकवादी संगठन ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली थी लेकिन जांच एजेंसियों को सिमी और इंडियन मुजाहिदीन के शामिल होने का संदेह है।

भाषा सं अनवर जितेंद्र

जितेंद्र



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